त्योंथर – वर्षों पुरानी परंपरा को निभाते हुए इस वर्ष भी 9 जनवरी को पौष मास की त्रयोदशी को ग्राम पंचायत सोहागी से 5 किमी दूर पहाड़ में स्थित भगवान अड़गड़ नाथ शिव के प्राचीन मंदिर में मेले का आयोजन किया गया जिसमें सोहागी सहित दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों से काफी संख्या में पहुंचकर श्रद्धालुओं ने सच्चे मन व श्रद्धा के साथ अड़ – गड़नाथ भगवान शिव के साथ माता पार्वती , भगवान गणेश व बंजरंग बली की पूजा अर्चना करते हुए मन वांछित फल की कामना करते हुए मेले का आनंद लिया। मेले में सुबह से ही स्थानीय व आसपास गांव के दुकानदारों ने अपनी – अपनी दुकानें लगाई।मौसम साफ होने के कारण दोपहर 1बजे के बाद अच्छा खासा मेला देखने को मिला।मेले में चारों ओर महिला, पुरुष व बच्चों की भीड़ दिखाई दे रही थी।मेले में जहां एक ओर बच्चों ने खिलौने खरीदने के साथ फुलकी,चाट ,लाई व खाने पीने की अन्य सामग्री खरीदी वही बड़ो ने गन्ने के साथ गृहस्थी में उपयोगी सामनों की खरीद दारी की।मेले में एसडीएम त्योंथर पी.के.पाण्डेय, राहुल पाण्डेय सीईओ त्योंथर,नायब तहसीलदार समेत समस्त प्रशासनिक अमले ने उपस्थित होकर मेलें की सुचारु व्यवस्था बनाने हेतु अपना मार्गदर्शन दिया। साथ ही मेले की सुरक्षा हेतु ग्राम पंचायत सोहागी के अनुरोध पर एसडीओपी त्योंथर व थाना प्रभारी सोहागी ने पुलिस बल की विशेष व्यवस्था की थी। ग्राम पंचायत सोहागी के सरपंच शेषमणि मिश्रा, मनपूरन शुक्ला सचिव, अनुपम दुवे जीआरएस, अमरनाथ गौतम,हल्का पटवारी राजमणि जायसवाल ,करुणा शंकर चतुर्वेदी,लालता चतुर्वेदी के साथ सभी पंच एवं ग्रामीण जनों के साथ नगर पंचायत त्योंथर व चाकघाट के साथ स्वास्थ्य विभाग त्योंथर का भी योगदान सराहनीय रहा।एक किवदंती के अनुसार सोहागी पहाड़ में स्थित अड़गड़नाथ भगवान शिव का मंदिर करीब 238 वर्ष पुराना है जनश्रुति के मुताबिक जहां पर इस वक्त शिव मंदिर है वहां पर संबत 1740 यानी 1785 में घनघोर जंगल था उक्त वन में एक विशाल तेंदू वृक्ष की जड़ से स्वयं अड़गड़नाथ भगवान शिव नारियल के आकार में प्रकट हुए थे जिस वक्त वहां पर भगवान प्रकट हुए उस समय गढ़वा नईगढ़ी के राजा रणधीर सिंह सेंगर वही पर विश्राम कर रहे थे भगवान शिव ने उन्हें स्वप्न देकर अपने प्रगट्य स्थान सोहागी पहाड़ में शिव मंदिर बनवाने हेतु आदेशित किया।भगवान शिव के आदेशानुसार गढ़वा नरेश के द्वारा यहां पर मंदिर का निर्माण करा कर भगवान शिव की प्रतिमा की स्थापना की ।
:अनुपम अनूप