आज के दौर में जहां लोग ऊँची सैलरी और लग्ज़री लाइफस्टाइल के पीछे भागते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जो देशसेवा को सर्वोपरि मानते हैं। यूपी पुलिस की तेजतर्रार अफसरों में शामिल आईपीएस अंजलि विश्वकर्मा की कहानी इसी दिशा में एक प्रेरणा है। आईआईटी कानपुर से पढ़ाई के बाद 48 लाख रुपये के पैकेज की नौकरी मिलने के बावजूद उन्होंने समाज की सेवा के लिए पुलिस सेवा को चुना। उनकी यह यात्रा केवल एक करियर परिवर्तन नहीं, बल्कि एक उद्देश्यपूर्ण जीवन की मिसाल है। आइए जानते हैं उनकी पूरी कहानी।
आईआईटी से आईपीएस तक का सफर
उत्तराखंड की रहने वाली अंजलि विश्वकर्मा बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल थीं। उन्होंने उत्तराखंड बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा में टॉप किया और फिर आईआईटी कानपुर में दाखिला लिया। अपनी कड़ी मेहनत और प्रतिभा के बल पर उन्होंने 2015 में इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की और एक विदेशी कंपनी में 48 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर नौकरी हासिल की। यह नौकरी उन्हें विदेश में काम करने का भी अवसर दे रही थी, लेकिन उनके मन में सवाल उठने लगे— क्या केवल पैसा कमाना ही जीवन का उद्देश्य है?
संघर्ष और यूपीएससी की तैयारी
एक दोस्त से बातचीत के दौरान अंजलि को पता चला कि वह अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी कर रहा है। इस बात ने अंजलि को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। समाज में बदलाव लाने और देश के लिए कुछ करने की भावना ने उन्हें नौकरी छोड़ने की हिम्मत दी। उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की और अपने दूसरे प्रयास में ही सफलता हासिल कर आईपीएस अधिकारी बनीं। उनकी यह यात्रा आसान नहीं थी, लेकिन दृढ़ संकल्प और मेहनत के बल पर उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त किया।
पुलिस सेवा में नई पहचान
आईपीएस बनने के बाद अंजलि विश्वकर्मा ने पुलिस सेवा में अपना योगदान देना शुरू किया। उनकी नेतृत्व क्षमता और न्यायप्रिय स्वभाव के कारण वे जल्द ही जनता के बीच लोकप्रिय हो गईं। भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए उन्होंने कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कई अहम फैसले लिए। यूपी पुलिस में उनकी गिनती तेजतर्रार अफसरों में की जाती है और वे अपने कार्यशैली से नई मिसाल कायम कर रही हैं।
प्यार, संघर्ष और शादी की कहानी
यूपीएससी की तैयारी के दौरान अंजलि की मुलाकात उदित पुष्कर से हुई, जो खुद भी इसी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। दोनों के बीच न सिर्फ पढ़ाई का तालमेल बैठा, बल्कि विचारों की समानता ने भी उन्हें करीब ला दिया। जब दोनों आईपीएस बने और करियर में स्थिरता आई, तो उन्होंने अपने परिवारों को शादी के लिए राज़ी किया। 2024 में दोनों ने विवाह कर लिया और अब अपने-अपने पदों पर रहकर समाज की सेवा कर रहे हैं।
नए भारत की नई अधिकारी
अंजलि विश्वकर्मा की यह कहानी केवल एक महिला की सफलता की कहानी नहीं, बल्कि उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सामाजिक बदलाव की दिशा में कुछ करने की सोचते हैं। उनकी सफलता यह साबित करती है कि यदि इरादा नेक और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। 48 लाख रुपये के पैकेज को छोड़कर देशसेवा को चुनने वाली अंजलि की कहानी हमें यह सिखाती है कि असली सफलता सिर्फ पैसों में नहीं, बल्कि अपने समाज और देश के लिए किए गए योगदान में होती है।