एक माह से चल रही जांच, नहीं निकला नतीजा जिला सहकारी बैंक सीधी के मोरवा शाखा से हुआ था गोलमाल
विंध्य प्रदेश जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक सीधी अन्तर्गत संचालित मोरवा के 11 करोड़ के फर्जी बैंक गारंटी का एक माह पूर्व प्रकाश में आया था. इस मामले में जिम्मेदार आला अधिकारी गंभीरता नहीं बरत रहें है। जिसके चलते एक माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी दोषियों पर कारवाई की गाज नहीं गिर सकी है।
उल्लेखनीय है कि सिंगरौली, रीवा एवं सतना जिले की शराब दुकानों के ठेकेदारों द्वारा जिला सहकारी बैंक शाखा मोरवा के शाखा प्रबंधक से साठगांठ कर फर्जी तरीके से 11 करोड़ से अधिक की बैंक गारंटी तैयार कर आबकारी विभाग को अच्छी खासी चपत लगाई है। इस पूरे खेल में जिला सहकारी बैंक शाखा मोरवा के शाखा प्रबंधक नागेन्द्र सिंह की प्रमुख भूमिका बताई जा रही है! हैरानी की बात यह है कि इस मामले का खुलासा होने पर कमिश्नर ने कलेक्टर सीधी एवं बैंक सीईओ सीधी को पत्र लिखकर परीक्षण करते हुए दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश दिये थे! लेकिन एक माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी जिले का जिम्मेदार अमला अभी भी इस जांच कार्रवाई को अतिंम रूप नहीं दे सका है। ऐसे में जांच टीम में शामिल आला अधिकारियों पर भी सवालिया निशान लग रहे है।
शिकायत के बाद हुआ खुलासा
अधिवक्ता एवं समाजिक कार्यकर्ता बीके माला की शिकायत पर कमिश्नर रीवा ने जांच के निर्देश दिए थे! श्री माला से मिली जानकारी के अनुसार
जिला सहकारी बैंक मोरवा से आठ शराब समूह की बैंक गारंटी इस बैंक द्वारा तैयार की गई थी इसके अलावा रेलवे स्टेशन समूह सतना शराब दुकान की भी गारंटी मोरवा सरकारी बैंक से जारी हुई है श्री माला के अनुसार शराब ठेकेदार शाखा प्रबंधक के रिश्तेदार हैं इसके चलते इतना बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया है सूत्रों की मानें तो यह 8 ग्रुप की शराब दुकानों के ठेकेदार द्वारा गत वर्ष भी मोरवा बैंक से ही यह फर्जी बैंक गारंटी तैयार कराकर शराब कारोबार संचालित किया था लेकिन उस वर्ष किसी को इस बात की भनक भी नहीं लग सकी थी ! खास बात यह है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक राष्ट्रीयकृत बैंकों की सूची में नहीं आता है इस बात का उल्लेख मध्य प्रदेश के राजपत्र में भी किया गया है वही आबकारी नियमों में यह सब उल्लेखित किया गया है कि राष्ट्रीय कृत बैंक के ही एफडीआर या बैंक गारंटी मान्य होंगे बावजूद इसके जिला सहकारी बैंक सीधी के मोरवा शाखा से 11 करोड़ से अधिक की बैंक गारंटी रीवा सतना सिंगरौली के आबकारी विभाग द्वारा मान्य की गई है! जिससे आबकारी अमले के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए.. शिकायतकर्ता श्री माला ने बताया कि इस पूरे मामले में सहकारी बैंक मोरवा के शाखा प्रबंधक के साथ-साथ बैंकिंग अमलाव सिंगरौली से रीवा तथा सतना का आबकारी अमला पूरी तरह से दोषी है..!
आखिर कैसे बन गई 24 घंटे में बैंक गारंटी
बता दें कि बैंक गारंटी तैयार करने की प्रक्रिया बेहद लंबी चौड़ी है शहरी क्षेत्र की प्रॉपर्टी अगर बैंक के अधीन की जाती है तो बैंक के सर्वेयर द्वारा स्थल सत्यापन के साथ-साथ अन्य कागजी कार्यवाही की जाती है जिसमें कम से कम 1 सप्ताह का समय लगता है लेकिन सिंगरौली के मोरवा शाखा से जो बैंक गारंटी शराब ठेके द्वारा दी गई है वह महज 24 घंटे के भीतर ही जारी कर दी गई ! यही नहीं इस मामले की जांच होने पर शाखा प्रबंधक मोरवा द्वारा जो बैंक गारंटी के संबंध में पत्राचार सहायक आयुक्त आबकारी रीवा को किया गया है! वह भी हस्तलिखित है! जबकि सरकारी नियमों में हस्तलिखित पत्रों की मान्यता नहीं है ऐसे में सहायक आयुक्त आबकारी विभाग द्वारा यह पत्र कैसे स्वीकार किया या बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है….!
शिकायतकर्ता अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला से मिली जानकारी के अनुसार जिला सहकारी बैंक मोरवा द्वारा शराब दुकान के समूह को बैंक गारंटी दी गई है उसमें 8 समूह शामिल हैं श्री माला द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार बैकुंठपुर को 1 करोड़ 45 लाख 55 हजार , लौर समूह को 1 करोड़ 6 लाख 97 हजार, नईगढ़ी समूह के नाम 9 लाख 3 हजार तथा हनुमना समूह के लिए 1 करोड़ 27 लाख ₹77 हजार रुपए की बैंक गारंटी तैयार की गई है! इसी तरह ईटौरा समूह को 1 करोड़ 56 लाख 37 हजार ,रायपुर कर्चुलियान समूह को 78 लाख 10 हजार तथा समान नाका समूह रीवा को 2 करोड 45 लाख एवं रेलवे स्टेशन समूह सतना को 2 करोड़ 23 लाख की बैंक गारंटी जिला सहकारी बैंक सीधी के मोरवा शाखा द्वारा दी गई है बैंक गारंटी जारी करने के एवज में बैंक के पास रखी गई संपत्ति का ब्यौरा बैंक द्वारा नहीं दिया या जा रहा है!