भोपाल में रंगपंचमी का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है, जहां गली-गली, चौक-चौराहों और कॉलोनियों में रंगों और गुलाल की बौछारें शुरू हो गई हैं। सभी उम्र के लोग अबीर-गुलाल उड़ाते हुए, ढोल की थाप पर नाचते-गाते और एक-दूसरे को रंग लगाकर होली का आनंद ले रहे हैं।
पुराने शहर के सुभाष चौक, बरखेड़ी, और नए भोपाल में शाहपुरा से गेर निकाली जा रही है। संत नगर, भेल और कोलार में भी रंगपंचमी धूमधाम से मनाई जा रही है। मुख्य आयोजन चौक बाजार में हो रहा है, जहां बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो रहे हैं। गेर की शुरुआत सुबह 11 बजे हुई है, जिसमें हुरियारे भूत-पिशाच का रूप धारण कर शामिल हो रहे हैं। सोमवारा पहुंचते ही 6 टैंकरों से रंग बरसाया जाएगा।
भोपाल में गेर निकालने की परंपरा 1953 में शुरू हुई थी। भोपाल के सर्राफा व्यापारी इंदौर की गेर में शामिल होते थे, जिससे प्रेरित होकर उन्होंने भोपाल में भी गेर निकालने का निर्णय लिया। पहला जुलूस चौक बाजार से प्रारंभ होकर लोहा बाजार, जुमेराती, सोमवारा, लखेरापुरा होते हुए हनुमान गंज स्थित हनुमान जी की मढ़िया पर समाप्त होता था।
उत्सव के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पुलिस प्रशासन ने सुनिश्चित किया है कि सभी लोग सुरक्षित वातावरण में इस उत्सव का आनंद ले सकें। भोपाल की रंगपंचमी और गेर उत्सव की यह परंपरा शहर की सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करती है और सामूहिक उत्सव की भावना को मजबूत करती है।