उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में एक बेहद दर्दनाक और रहस्यमयी घटना सामने आई है। शहर के गुदरी मोहल्ले स्थित सिपाही चंदन अहिरवार के मकान से उसकी बहन किरण और जीजा सोनू के शव बरामद किए गए हैं। पड़ोसियों को जब घर से दुर्गंध आने लगी, तो उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जब दरवाजा तोड़ा, तो अंदर का दृश्य बेहद भयावह था – सोनू का शव फांसी पर लटका था, जबकि किरण का शव जमीन पर पड़ा हुआ था। दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, चंदन अहिरवार उत्तर प्रदेश पुलिस में कानपुर में सिपाही के पद पर तैनात है। उसका जीजा सोनू, पत्नी किरण और दो बच्चों के साथ झांसी के उसी मकान में रह रहा था। घटना के वक्त दोनों बच्चे अपनी नानी के साथ कानपुर में थे। मकान में सिर्फ सोनू और किरण ही मौजूद थे। सोनू मेहनत-मजदूरी करके परिवार का पेट पालता था। किरण की माँ अक्सर बेटे चंदन के पास जाकर बहू-बेटी की मदद करती रहती थीं। परन्तु घरेलू कलह और तनाव की स्थिति बनी ही रहती थी।
पुलिस जांच में सामने आया कि किरण के शरीर पर चोट के निशान थे, जिससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि घटना से पहले दोनों के बीच झगड़ा हुआ होगा। पड़ोसियों का कहना है कि सोनू शराब पीने का आदी था और अक्सर अपनी पत्नी के साथ मारपीट करता था। आशंका है कि झगड़े के दौरान किरण की मौत हो गई, जिसके बाद सोनू ने खुद को फांसी लगा ली। फॉरेंसिक टीम ने साक्ष्य इकट्ठे किए हैं और पुलिस ने भी मामले की गंभीरता से जांच शुरू कर दी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है ताकि घटना की पूरी सच्चाई सामने आ सके।
इस मामले में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है कि किरण सोनू की दूसरी पत्नी थी। सोनू की पहली पत्नी से उसका विवाद चल रहा था, जिसने उस पर बलात्कार का मुकदमा भी दर्ज कराया था। इन मुकदमों के चलते सोनू की आर्थिक हालत भी बिगड़ चुकी थी – खेती और दुकान सब बिक चुकी थी। किरण की बहन आरती ने बताया कि इन हालातों ने उसकी बहन की जिंदगी बर्बाद कर दी थी। भाई चंदन ने उन्हें मकान रहने के लिए दे रखा था, लेकिन इसके बावजूद घरेलू कलह खत्म नहीं हो पा रही थी।
एसपी सिटी ज्ञानेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि मामले की गहनता से जांच की जा रही है। शवों का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है और रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। यह घटना झांसी शहर में एक गहरा सदमा बनकर सामने आई है और समाज को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर रही है कि घरेलू हिंसा और तनाव किस कदर जिंदगी को निगल सकते हैं।






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