Friday, December 5, 2025

CBI की बड़ी कार्रवाई में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और SP अभिषेक पल्लव पर गंभीर आरोप, करोड़ों की ‘प्रोटेक्शन मनी’ का चौंकाने वाला खुलासा।

एक छोटा सा जूस की दुकान चलाने वाला युवक… कुछ सपने, कुछ जुगाड़ और एक बड़ा दांव—जिसने न सिर्फ छत्तीसगढ़ की सियासत को हिला दिया बल्कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI को भी चौंका दिया। क्या आपने कभी सोचा है कि एक सट्टा ऐप किसी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़ा कर सकता है? और क्या आपने सुना है कि एक SP, जो ईमानदारी की मिसाल माने जाते थे, वही किसी 6000 करोड़ के सट्टा घोटाले की जांच में संदेह के घेरे में हैं? जी हां, हम बात कर रहे हैं ‘महादेव सट्टा ऐप’ की, जिसने आम जनता से लेकर अफसरों, नेताओं और मंत्रियों तक को अपनी चपेट में ले लिया। इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि कैसे एक ऐप ने पूरे सिस्टम को हिला कर रख दिया और कैसे 508 करोड़ की ‘प्रोटेक्शन मनी’ लेने के आरोप अब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर लगाए जा रहे हैं।

इस घोटाले की कहानी शुरू होती है भिलाई के दो दोस्तों—सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल—से। एक जूस बेचता था, दूसरा सट्टेबाजी का पुराना खिलाड़ी। लॉकडाउन के दौरान जब पूरी दुनिया थम सी गई थी, तब इन दोनों ने मिलकर एक ऑनलाइन सट्टा ऐप बनाने का फैसला किया। नाम रखा गया महादेव सट्टा ऐप—जो क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन, चुनाव परिणामों जैसे इवेंट्स पर सट्टा लगाने की सुविधा देता था। सोशल मीडिया, मूवी डाउनलोडिंग वेबसाइट और रेफरल बोनस के दम पर ऐप ने तेजी से लोकप्रियता पाई और कुछ ही महीनों में 12 लाख से ज्यादा यूज़र्स इस घातक जाल में फंस गए। ऐप को दुबई से ऑपरेट किया जाने लगा और देशभर में 30 से ज्यादा कॉल सेंटर खोले गए। शुरुआती जीत का लालच लोगों को इस ऐप का आदी बना देता था और बाद में वो सब कुछ हारने लगते थे—पैसे, गहने, ज़मीन और कभी-कभी आत्मसम्मान भी।

सीबीआई की जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि भूपेश बघेल पर आरोप है कि उन्होंने इस अवैध ऐप को सुरक्षा देने के बदले ₹508 करोड़ की “प्रोटेक्शन मनी” ली। एक ओर जनता अपनी जमीन और गहने बेचकर कर्ज में डूबती रही, वहीं दूसरी ओर अधिकारियों, नेताओं और माफिया नेटवर्क की जेबें भरती रहीं। जांच एजेंसियों का दावा है कि ये पैसा सीधे-सीधे बघेल तक पहुंचा।

इस पूरे मामले की शुरुआत होती है दो युवकों — सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल — से। सौरभ जूस की दुकान चलाता था और रवि के घरवाले उससे परेशान थे, तो उन्होंने टायर की दुकान खुलवा दी। लेकिन रवि का सपना अरबपति बनने का था। लॉकडाउन के दौर में, जब देश थमा हुआ था, तब इन दोनों ने मिलकर महादेव सट्टा ऐप शुरू किया। शुरुआत एक मोबाइल ऐप से हुई, फिर पूरे देश में फैल गया।

महादेव ऐप में यूज़र्स क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन, टेनिस जैसी गेम्स पर सट्टा लगाते थे। शुरुआती जीतों से लोगों को लुभाया गया, बोनस दिए गए और बाद में उन्हें हार का आदी बना दिया गया। पैसा हारने के बाद लोग गहने गिरवी रखने लगे, जमीनें बेचने लगे और कर्ज में डूब गए। धीरे-धीरे यह ऐप दुबई से संचालित होने लगा और देशभर में 30 से अधिक कॉल सेंटर खोल दिए गए।

यूजर्स को व्हाट्सएप के जरिए जोड़ा जाता था और दो नंबर दिए जाते थे — एक पैसे जमा करने का, दूसरा विथड्रॉ के लिए। यह सब एक ऐसे डिज़ाइन से किया गया जिससे पहले यूजर को लगने लगे कि वह जीत रहा है। जैसे ही वे इस आभासी जीत के आदी हो जाते, उन्हें लगातार हार मिलने लगती, और फिर शुरू होता कर्ज का कुचक्र।

सबसे चौंकाने वाला नाम जो इस घोटाले में सामने आया है, वो है वायरल IPS अधिकारी अभिषेक पल्लव का। ये वही अधिकारी हैं जो कभी डीएसपी के बेटे की गाड़ी रोककर कानून सिखाते थे। लेकिन आज उन पर शक की निगाहें हैं। CBI जब उनके घर पहुंचती है, तो उन्हें रोककर पूछताछ शुरू की जाती है। सख्ती से जांच हो रही है कि आखिर इतने ईमानदार छवि वाले अधिकारी की भूमिका इसमें क्यों संदिग्ध है?

एक कारोबारी प्रशांत अग्रवाल ने सीबीआई को बताया कि उसने ₹508 करोड़ रुपए भूपेश बघेल, बिट्टू भैया और उनके करीबियों को दिए हैं ताकि उसका सट्टा कारोबार बिना किसी रुकावट के चलता रहे। फिर भी उसे काम में रुकावट आ रही थी। इस बयान से जांच की दिशा पूरी तरह बदल गई। यह बयान एक तरह से चिंगारी साबित हुआ जिसने इस घोटाले को आग में बदल दिया।

महादेव ऐप को इस तरह डिज़ाइन किया गया था कि यह नशे की तरह काम करे। जीत की खुशी और हार की पीड़ा के बीच आम आदमी इतना उलझ गया कि उसे सट्टा ही जीवन का केंद्र लगने लगा। कई परिवार बर्बाद हो गए। किसी ने माँ के गहने चुराए, तो किसी ने बहन की शादी के लिए रखा पैसा गंवा दिया। लेकिन नेता और अधिकारी मौज में थे।

यह मामला केवल एक ऐप या कुछ करोड़ की धोखाधड़ी का नहीं है। यह उस गठजोड़ का पर्दाफाश है जिसमें सत्ताधारी, अफसरशाही और अपराधी मिलकर एक पूरे राज्य की जनता को आर्थिक और मानसिक रूप से लूट रहे थे। CBI की रिपोर्ट बताती है कि छत्तीसगढ़ में ये ऐप इतने लंबे समय तक बिना राजनीतिक संरक्षण के नहीं चल सकता था।

IPS अभिषेक पल्लव, जो कभी DSP के बेटे की गाड़ी रोक कर कानून का पाठ पढ़ाते थे, अब खुद सवालों के घेरे में हैं। CBI की पूछताछ से सामने आया है कि इनकी संलिप्तता केवल ‘नजरअंदाजी’ तक सीमित नहीं थी, बल्कि इनके जरिए इस रैकेट को प्रशासनिक सुरक्षा मिल रही थी। महादेव सट्टा ऐप की पूरी संरचना इतनी पेशेवर थी कि नए यूज़र्स को व्हाट्सएप नंबर दिए जाते थे, जहां से उन्हें निजी ग्रुप में जोड़ कर गाइड किया जाता था कि कैसे अकाउंट बनाना है, पैसे जमा करना है और किस तरह से ‘पॉइंट’ कमाने हैं। सब कुछ इस तरह डिज़ाइन किया गया था कि पहले लोग जीतते थे, फिर हारते थे, और अंततः कर्ज में डूब जाते थे।

अब सवाल है कि क्या सच्चाई सामने आएगी? क्या भूपेश बघेल और अन्य आरोपी सज़ा पाएंगे? क्या महादेव ऐप के पीछे छिपे सभी राज सामने आएंगे? या फिर ये केस भी सिस्टम की जाल में उलझकर धुंधला हो जाएगा?

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