एक प्रेम कहानी, जिसने सरहदें लांघी… मोबाइल की घंटों की बातें… फिर नेपाल बॉर्डर से होकर भारत में प्रवेश… और अब—उनकी जिंदगी में आई एक नन्हीं परी। लेकिन, क्या सब कुछ अब भी उतना ही आसान है? क्या जो शुरुआत प्यार से हुई थी, वो अब सिर्फ खुशी की कहानी रह गई है? या इस खुशी के साथ कोई खतरा भी चल रहा है?
सीमा हैदर और सचिन मीणा की जिंदगी में हाल ही में एक खूबसूरत मोड़ आया, लेकिन उस मोड़ पर खड़ा है एक डर भी—एक खतरा, जो सरहद के उस पार से सीधा उनके दिल तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है।
सीमा हैदर—जिसका नाम सुनते ही मीडिया, सोशल मीडिया और आम लोगों के मन में दर्जनों सवाल खड़े हो जाते हैं—अब एक मां बन चुकी हैं। हाल ही में उन्होंने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया है। इस मौके पर सचिन मीणा की आंखों से आंसू छलक पड़े—लेकिन ये आंसू दर्द के नहीं, खुशी के थे।
सीमा ने ANI से बातचीत में खुलासा किया कि जब सचिन ने अपनी बेटी को पहली बार गोद में लिया, तो उन्होंने कहा—“कभी हम सिर्फ फोन पर बात करते थे, आज हमारी एक बेटी है।” एक प्रेम कहानी का यह पड़ाव वाकई किसी फिल्मी सीन से कम नहीं।
सीमा और सचिन के लिए यह बच्ची सिर्फ एक संतान नहीं, बल्कि एक नया अध्याय है—नई उम्मीदों, नए सपनों और नई ज़िम्मेदारियों से भरा हुआ। सचिन के परिवार ने भी बेटी के आगमन पर गदगद होकर उसका स्वागत किया। नन्हीं किलकारियों ने घर का माहौल बदल दिया।
जिस रिश्ते को कभी शक, बहस और जांच की नजरों से देखा गया था, आज वही रिश्ता एक परिवार में बदल चुका है। सचिन और सीमा की ये यात्रा उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा है, जो प्रेम को सरहदों, धर्म या जातियों से ऊपर मानते हैं।
खुशियों के इस घर के बाहर अब भी एक साया मंडरा रहा है। सीमा हैदर ने ANI को बताया कि उनका पूर्व पति गुलाम हैदर लगातार पाकिस्तान से उन्हें, उनके पति सचिन और उनकी नवजात बेटी को जान से मारने की धमकियां दे रहा है।
सीमा ने आरोप लगाया है कि गुलाम हैदर बेहद आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहा है और उन्हें डराने की कोशिश कर रहा है। यही नहीं, सीमा ने अपने वकील डॉ. एपी सिंह को लेकर भी ऐसी ही धमकियों का जिक्र किया है।
सीमा हैदर अब एक पत्नी ही नहीं, एक मां भी हैं। और एक मां के लिए सबसे अहम होती है अपनी संतान की सुरक्षा। इसलिए उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षा दी जाए।
सीमा कहती हैं कि यह मामला सिर्फ उनका व्यक्तिगत नहीं, बल्कि उन हजारों-लाखों लोगों की उम्मीदों का है जो प्रेम और अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहते हैं। सवाल यह भी है कि क्या भारत, जहां एक महिला अपने बच्चों के साथ शरण लेती है, उसे वह सुरक्षा और सम्मान मिल पाएगा जिसकी वो हकदार है?






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