क्या आपने कभी सोचा है कि क्रिकेट की दुनिया में अपनी विस्फोटक बल्लेबाज़ी से धमाल मचाने वाला खिलाड़ी कभी ऑफ-स्पिनर भी रहा हो? और क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा बच्चा, जो गरीबी के चलते अपने माता-पिता के साथ नहीं, बल्कि चाचा और दादा के साथ रहा करता था, एक दिन भारत का ‘हिटमैन’ कहलाएगा? हम बात कर रहे हैं रोहित शर्मा की, जिनका 38वां जन्मदिन आज पूरे देश में सेलिब्रेट हो रहा है। लेकिन आज हम सिर्फ उनके रनों की नहीं, बल्कि उनके संघर्षों की कहानी बताएंगे – कैसे नागपुर की तंग गलियों से निकलकर उन्होंने क्रिकेट का आसमान छू लिया।
रोहित शर्मा का जन्म 30 अप्रैल 1987 को महाराष्ट्र के नागपुर जिले के बंसोड़ गांव में हुआ। तेलुगु-मराठी परिवार में जन्मे रोहित का बचपन अभावों में बीता। उनके पिता गुरुनाथ शर्मा एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में गोदाम के केयरटेकर थे, जिनकी आमदनी इतनी नहीं थी कि वे परिवार को ठीक से चला सकें। इसीलिए रोहित को डोंबिवली में अपने दादा और चाचा के साथ रहना पड़ा। उनका पूरा बचपन एक कमरे के छोटे से घर में गुजरा। उनकी मां पूर्णिमा शर्मा आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम से थीं। उनके छोटे भाई विशाल शर्मा भी हैं। रोहित को क्रिकेट अकैडमी तक पहुंचाने का श्रेय उनके चाचा को जाता है, जिन्होंने न केवल उन्हें वहां दाखिला दिलवाया, बल्कि आर्थिक मदद भी की।
साल 1999 में रोहित को उनके चाचा ने एक लोकल क्रिकेट कैंप में भेजा। वहीं, कोच दिनेश लाड ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें बेहतर सुविधा वाले स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल में दाखिला लेने की सलाह दी। रोहित ने कहा कि वे इतना खर्च नहीं उठा सकते, तो कोच ने उन्हें छात्रवृत्ति दिलवाई। अगले चार साल तक रोहित ने बिना कोई फीस दिए वहां पढ़ाई और क्रिकेट की ट्रेनिंग ली। शुरुआती दिनों में रोहित एक ऑफ-स्पिनर थे जो कभी-कभार बल्लेबाज़ी कर लेते थे। लेकिन जब कोच लाड ने उनकी बैटिंग देखी, तो उन्होंने रोहित से पारी की शुरुआत करवानी शुरू कर दी – और यहीं से एक बल्लेबाज के रूप में उनका नया सफर शुरू हुआ।
हैरिस और जाइल्स शील्ड जैसे स्कूल टूर्नामेंट्स में धमाकेदार प्रदर्शन के बाद रोहित ने 2005 में देवधर ट्रॉफी से लिस्ट-A करियर की शुरुआत की। फिर 2006-07 में रणजी ट्रॉफी में मुंबई की ओर से खेलते हुए गुजरात के खिलाफ 205 रनों की पारी ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया। डोमेस्टिक क्रिकेट में उन्होंने 129 फर्स्ट क्लास मैचों में 9318 रन बनाए। उनके नाम 344 लिस्ट-A और 457 टी-20 मैचों में क्रमशः 13410 और 12070 रन दर्ज हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि वह सिर्फ एक बल्लेबाज नहीं, बल्कि रन मशीन हैं।
रोहित शर्मा ने 2007 में आयरलैंड के खिलाफ अपना पहला वनडे खेला, उसी साल इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 डेब्यू किया। 2013 में उन्होंने टेस्ट में कदम रखा। आज वे भारत के तीनों फॉर्मेट के कप्तान रह चुके हैं। 67 टेस्ट मैचों में 4301 रन, 273 वनडे में 11168 रन और 159 टी20 में 4231 रन के साथ उन्होंने कुल 49 इंटरनेशनल शतक जड़े हैं। वे तीनों फॉर्मेट में शतक बनाने वाले गिने-चुने खिलाड़ियों में से एक हैं। रोहित आज सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, एक प्रेरणा हैं – उन लाखों बच्चों के लिए जो कम संसाधनों में बड़े सपने देखते हैं।






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