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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से बार-बार रूस पर प्रतिबंध लगाने की धमकियों के बीच व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग के बीच बड़ी डील हुई है. एससीओ समिट के बाद रूस ने मंगोलिया के रास्ते चीन को नेचुरल गैस भेजने वाले समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह डील लंबे समय से रुकी हुई थी.
जिनपिंग के आवास पर चीन-रूस के बीच डील
व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग ने मंगलवार (2 अगस्त 2025) घंटों बातचीत के बाद मंगोलिया के राष्ट्रपति से मुलाकात की. शी जिनपिंग के आवास पर तीनों नेताओं ने चाय की चुस्की ली और इस मामले पर औपचारिक बातचीत की. यह दुनिया की नई राजनीति में दो ताकतवर नेताओं के बीच एकजुटता का प्रदर्शन था, जो ट्रंप की नाक के नीचे इतनी बड़ी डील कर लिए और वे कुछ नहीं कर पाए.
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक रूसी सरकार की स्वामित्व वाली एनर्जी कंपनी गैजप्रोम ने घोषणा की है कि मंगलवार (2 सितंबर 2025) को पावर ऑफ साइबेरिया-2 गैस पाइपलाइन के निर्माण के लिए कानूनी रूप से हस्ताक्षर किए गए हैं. कंपनी ने कहा कि सालों से इसे किसी न किसी कारण से टाला जा रहा था.
यूरोप से बड़ा गैस खरीदार बन जाएगा चीन
यह डील पुतिन के लिए बड़ी जीत है, जिन्होंने यूरोप की जगह चीन को अपना प्रमुख गैस खरीदार बना लिया है. इस डील को ट्रंप की हार के तौर पर भी देखा जा रहा है क्योंकि यूक्रेन में यु्द्ध को समाप्त करने को लेकर वह लगातार रूसी आयात में कटौती करने का दबाव बना रहे हैं.
इस डील के तहत पश्चिमी रूस से उत्तरी चीन तक सालाना 50 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस की आपूर्ति की जाएगी. विश्लेषकों का कहना है कि इसस यूरोप को होने वाले गैस निर्यात में लगभग आधे की भरपाई हो सकती है.
रूस की समाचार एजेंसी टीएएसएस के अनुसार गैजप्रोम कंपनी के सीईओ एलेक्सी मिलर ने कहा कि इस डील में 30 साल के आपूर्ति पर सहमति बनी है और जो गैस चीन को दी जाएगी उसकी कीमत यूरोप से ली जाने वाली कीमत से कम होगी. उन्होंने कहा कि यह दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे अधिक रकम वाली गैस परियोजना होगी.
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