रीवा जिले के बम्हना गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का सुदामा वर्णन के साथ विश्राम हो गया। श्रीमद् भागवत कथा का रसपान करने के लिए भक्तों का सैलाब कथा स्थल पर उमड़ पड़ा।प्रसिद्ध कथा वाचक ब्रह्मचारी जी ने श्रीमद् भागवत कथा का समापन करते हुए कई कथाओं का भक्तों को श्रवण कराया। जिसमें उनके (16108) विवाह के प्रसंग के साथ सुदामा प्रसंग की कथा सुनाई। कथा सुनकर सभी भक्त भावविभोर हो गए। कथा व्यास ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहा कि सच्चा भक्त दु:ख हो या सुख दोनों परिस्थिति में समान रहता है। सुख में न वो फूलता है, और दु:ख में न वो डूबता है। सुख में मनुष्य सरकती रेती जैसा बन जाता है। समय कब बीत गया पता ही नहीं चलता। और दु:ख में मनुष्य के हृदय में कांटा जैसा होता है। लेकिन दोनों ही स्थिति में सच्चे भक्त को स्थिर रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जीवन में कई बार बहुत सारी ऐसी बातें होती है, जो हमें अच्छी नहीं लगती हैं। लेकिन तब भी यह विश्वास रखना चाहिए कि भगवान जो करे सो भली करे। कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने मित्रता की मिशाल पेश की। और समाज में समानता का संदेश दिया। साथ ही भक्तों को बताया कि श्रीमद्भागवत कथा का 7 दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है। तो वहीं इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते हैं। कथा के दौरान भाजपा मंडल अध्यक्ष, पत्रकार बंधु, सामाजिक कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधिगण बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। वहीं महाआरती के साथ कथा का विश्राम हुआ।कथा आयोजक प्रमोद पयासी,एस एन मिश्र, ओमप्रकाश उर्मलिया (मंडल अध्यक्ष) दिनकर द्विवेदी (भाजपा नेता), नरेंद्र मिश्र(समाजसेवी),रवि प्रकाश मिश्र( पत्रकार )को व्यास पीठ से रामनामी पट से विभूषित कर सम्मानित किया गया।