रीवा मऊगंज मोहन यादव की सरकार विकलांगों के लिए चाहे जैसी योजना बनाई हो लेकिन रीवा जिले में कागज तक सीमित है। रीवा जिले में डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला को बनाया गया लेकिन रीवा जिले भ्रष्टाचार का गढ़ माना जाता है। रीवा जिले के सामाजिक न्याय विभाग में विकलांग दीपक गुप्ता ने भी व्हीलचेयर के जनवरी 2023 में आवेदन दिया था लेकिन उनको अभी तक व्हीलचेयर प्रदान नहीं कराई गई। जब उन्होंने अधिकारी से बात करने की कोशिश की तो उनको बताया गया कि यहां कोई धर्मशाला नहीं खुला है। वही आपको बता दे रीवा जिले से डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल का गढ़ माना जा रहा है लेकिन भ्रष्टाचार से इतना लिप्त है कि विकलांगों को हर जगह निराशाजनक होना पड़ता है। चाहे कोई भी कार्यालय को कलेक्ट्रेट हो या तहसील हो या थाना हो हर जगह। रीवा जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को यह नहीं पता कि विकलांगों की जिंदगी कैसी होती है उनको मैं अवगत करा दूं कि विकलांगों की जिंदगी में सिर्फ अंधेरा ही रहता है अगर आपको व्हीलचेयर नहीं देना है तो स्पष्ट रूप से आप सरकार को बता सकते हैं लेकिन एक-दो दिन कर बात का दिखावा न करें हो सकता है आने वाले दिन में आपके घर में भी ऐसी पड़ाव पड़ सकता है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है आखिर दीपक गुप्ता को व्हीलचेयर क्यों नहीं दिया जा रहा है कहीं अधिकारियों के मिली भगत से यह तो नहीं की खबरों का उजागर करते हैं इसलिए उनका व्हीलचेयर नहीं दिया जा रहा है। देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल के घर में भी विकलांगों को इसी तरह विवश होना पड़ेगा या उनके लिए कुछ अलग से योजना बनाई जाएगी।
:अनुपम अनूप
Rewa News: विकलांगों के समस्याओं को नहीं सुना जा रहा रीवा और मऊगंज जिले के अधिकारी
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