Saturday, December 6, 2025

Rewa News: रीवा लोकसभा क्षेत्र में वर्चस्व की जंग: मतदाताओं ने बाहरी प्रत्याशियों को नकारा, भाजपा कांग्रेस के साथ बसपा का जोर

पूर्व पीएम स्व. जवाहरलाल नेहरू ने अपने रसोइए को दिया था टिकट, दृष्टिहीन सांसद भी चुना; बघेली बोली है रीवा का एंट्री पास।

मध्य प्रदेश की रीवा
लोकसभा सीट के साथ एक अनूठी बात यह है कि इसने नए नेताओं को खूब अवसर दिया। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू के निजी स्टाफ के व्यक्ति को यहां के मतदाताओं ने सांसद चुना। बसपा से प्रदेश का पहला सांसद भी इसी सीट ने दिया। इसी तरह रीवा संसदीय क्षेत्र ने ऐसे कई अन्य नेताओं को संसद तक पहुंचाया, जो न तो शक्तिशाली राजनीतिक पृष्ठभूमि से रहे और न ही किसी बड़े परिवार से आते थे। यही नहीं, रीवा ने दृष्टिहीन सांसद भी चुना। यहां के मतदाताओं ने कभी कांग्रेस का, तो कभी राम मनोहर लोहिया की विचारधारा से जुड़े नेताओं का साथ दिया। वर्ष 1998 के चुनाव में पहली बार यह सीट भाजपा के खाते में आई। सनातन विचारधारा के कट्टर समर्थक जर्नादन मिश्रा वर्तमान सांसद हैं। वह 2014 के चुनाव में भी जीते थे। रीवा रियासत में सबसे पहले सफेद बाघ देखा गया था। इस क्षेत्र की एक पहचान यह भी है।
एक परिवार की होकर रह गई थी कांग्रेस
रीवा संसदीय सीट पर कांग्रेस का लंबे समय तक कब्जा रहा। अपवाद के रूप में जरूर अन्य दलों के नेता सांसद बने। वर्ष 1991 के चुनाव में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और विंध्य का सफेद शेर के नाम से प्रसिद्ध श्रीनिवास तिवारी को कांग्रेस ने टिकट दिया। हालांकि, उन्हें बसपा के भीम सिंह पटेल के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। इसके बाद वर्ष 1999 में श्रीनिवास तिवारी के बेटे सुंदरलाल तिवारी ने चुनाव जीत कर एक बार फिर इस सीट पर कांग्रेस का प्रभुत्व स्थापित कर दिया। इसके बाद कांग्रेस उनके ही परिवार के सदस्यों को टिकट देती रही। वर्ष 2004, 2009, 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने सुंदरलाल तिवारी को ही प्रत्याशी बनाया। चार बार एक चेहरे को टिकट देने कारण पार्टी में नाराजगी बढ़ती गई। रीवा में कांग्रेस की जड़ें कमजोर होती गईं। सुंदरलाल तिवारी के निधन के बाद वर्ष 2019 के चुनाव में उनके पुत्र सिद्धार्थ तिवारी को कांग्रेस ने चुनावी मैदान में उतारकर सहानुभूति के वोट लेने की कोशिश की थी, लेकिन इस बार भी कांग्रेस को भाजपा से हार स्वीकार करनी पड़ी।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी थे, अब भाजपा से विधायक
रीवा संसदीय क्षेत्र अब भाजपा के गढ़ में तब्दील हो चुका है। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के जर्नादन मिश्रा ने कांग्रेस के सिद्धार्थ तिवारी को पराजित किया था। सिद्धार्थ तिवारी कुछ माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट से त्योंथर सीट से विधायक बने हैं। यहां की देवतालाब ऐसी विधानसभा सीट है, जहां पिछले 35 वर्षों से कांग्रेस नहीं जीती। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम इस सीट से विधायक हैं। रीवा से विधायक राजेंद्र शुक्ल उप मुख्यमंत्री हैं। उनके प्रदेश में राजनीतिक रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह जितनी बार चुनाव जीते उतनी बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने।
बघेली बोलने वाले बनते रहे सांसद
विंध्य में बघेली बोली से मतदाताओं का मन जीतने का क्रम कई वर्षों से जारी है। यहां के जनप्रतिनिधि लंबे समय से बघेली बोली का प्रयोग कर चुनाव जीतते रहे हैं। रीवा सीट से सांसद बनने वाले सभी नेताओं की जीत में बघेली से प्रेम प्रदर्शन का भी योगदान रहा है।
नेहरू ने स्टाफ के व्यक्ति को दिया था टिकट
दूसरे लोकसभा चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उनके स्टाफ में रसोइया रहे शिवदत्त उपाध्याय को रीवा लोकसभा सीट से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया था। इस दौर में कांग्रेस का टिकट पा जाने वाला उम्मीदवार स्वयं को विजयी मान लेता था। वर्ष 1957 और अगले चुनाव वर्ष 1962 में भी शिवदत्त उपाध्याय जीते।
रीवा से लोकसभा में पहुंचे थे दृष्टिहीन सांसद यमुना प्रसाद
जनता पार्टी के तत्कालीन कद्दावर नेता व गोवा मुक्ति आंदोलन में भाग लेने और वहां मिली पुर्तगाल सेना की प्रताड़ना से दोनों आंखों की दृष्टि गंवा चुके पं. यमुना प्रसाद शास्त्री वर्ष 1977 में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। वे वर्ष 1989 में भी सांसद रहे।
बसपा को रीवा ने दिया था पहला सांसद
वर्ष 1991 में रीवा लोकसभा सीट ने बसपा को भीमसिंह पटेल के रूप में पहला सांसद दिया था। रीवा लोकसभा क्षेत्र में बसपा के संस्थापक स्व. कांशीराम की सक्रियता 1989 में तेज हो गई थी, वर्ष 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा ने भीमसेन पटेल को रीवा से टिकट दिया और वे चुनाव जीत गए । बाद में वर्ष 1996 एवं 2009 के चुनाव में भी बसपा प्रत्याशी की जीत हुई।
रीवा लोकसभा सीट में 8 विधानसभा सीट
रीवा, गुढ़, सेमरिया, सिरमौर, मनगवां, त्योंथर, मऊगंज और देवतालाब समेत आठ विधानसभा हैं।
प्रतिनिधित्अब तक इन्होंने किया प्रतिनिधित्व
1952 राजभान सिंह कांग्रेस, 1957 शिवदत्त उपाध्याय कांग्रेस, 1962 शिवदत्त उपाध्याय कांग्रेस, 1967 शंभूनाथ शुक्ल कांग्रेस, 1971 मार्तंड सिंह जूदेव निर्दलीय, 1977 यमुना प्रसाद शास्त्री जनता पार्टी, 1980 मार्तंड सिंह जूदेव निर्दलीय, 1984 मार्तंड सिंह जूदेव कांग्रेस, 1989 यमुना प्रसाद शास्त्री जनता पार्टी, 1991 भीम सिंह पटेल बसपा, 1996 बुद्धसेन पटेल बसपा, 1998 चंद्रमणि त्रिपाठी भाजपा, 1999 सुंदरलाल तिवारी कांग्रेस, 2004 चंद्रमणि त्रिपाठी भाजपा, 2009 देवराज पटेल बसपा, 2014 जनार्दन मिश्रा भाजपा, 2019 जनार्दन मिश्रा भाजपा।

WhatsApp Image 2024 02 18 at 12.27.43 PM 1 2
- Advertisement -
For You

आपका विचार ?

Live

How is my site?

This poll is for your feedback that matter to us

  • 75% 3 Vote
  • 25% 1 Vote
  • 0%
  • 0%
4 Votes . Left
Via WP Poll & Voting Contest Maker
Latest news
Live Scores