रीवा ,सिद्ध श्री चिरहुला नाथ मंदिर प्रांगण में चल रही श्री राम कथा के तृतीय दिवस पर कथा व्यास पंडित वाला वेंकटेश शास्त्री जी ने बताया कि जिस समय गऊ ब्राह्मण राजा और संत के सामने विकराल संकट खड़ा हुआ सभी ने जाकर भगवान को पुकारा और भगवान वचन दिए की सरयू के तट पर अयोध्या नगरी है वही हम राजा दशरथ और कौशल्या रानी के यहां अवतार लेंगे और हमारी जिनको हमारी लीला में सम्मिलित होना है अब वानर भालू के रूप में प्रकट हो जाइए और ऋषि महर्षियों को भगवान वानर भालू बनाकर प्रकट कर दिए इधर महाराज दशरथ जी के अंदर ग्लानि प्रकट हुई कि मेरे यहां कोई भी बालक नहीं है महाराज दशरथ जी गुरु वशिष्ठ जी के पास पहुंचे गुरु बसिष्ठ जी दशरथ जी को पुत्रेष्टि यज्ञ कराने के लिए आदेश दिए और बताएं हैं कि शीघ्र हीआपके यहां चार बालक एक साथ जन्म लेंगे पुत्रेष्टि यज्ञ कराने के लिए श्रृंगी ऋषि को बुलाया गया और श्रृंगी ऋषि के द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ कराई गई उससे चरू प्रगट हुई और उसी को चरू को चार भागों में विभाजित करके एक भाग कौशल्या जी को दूसरा भाग कैकेई जी को और अन्त के दो भाग सुमित्रा मैया को खिलाया गया इस प्रसाद के प्रभाव से भगवान चार स्वरूप में अवतार ग्रहण किये इसके पहले शास्त्री जी ने सती और शिव जी के विवाह के प्रसंग नारद जी का प्रसंग एवं ऋषि महर्षियों की तपस्या के प्रसंग को बड़े ही रोचक ढंग से वर्णन किये इस अवसर पर श्री चिरहुला नाथ जी के प्रमुख सेवक स्वामी गोकर्णाचार्य जी टोनी महाराज शत्रुघ्न शुक्ला बृजेंद्र शुक्ला शिवाकांत द्विवेदी भी आई पी बाबू रमेश गुप्ता गुड्डू अलखमुनि तिवारी गिरीश शर्मा ए पी त्रिपाठी कवि निष्ठुर जी एवं भारी संख्या में भक्ति गण भाव विभोर होकर झूमते हुए कथा का आनंद लिए।
: अनुपम अनूप