रीवा जिले में विभिन्न कार्यों के लिए भू-गर्भीय जल स्त्रोतों के अत्याधिक दोहन एवं तापमान बढ़ने के साथ जल स्तर में तेजी से गिरावट के कारण जिले में आसन्न पेयजल संकट के कारण कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी मनोज पुष्प ने रीवा जिले में पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 के प्रावधानों के तहत जिले को जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है।आदेश के तहत जिले में 15 जुलाई 2023 तक किसी भी शासकीय भूमि पर स्थिति जल स्त्रोतों में पेयजल तथा घरेलू उपयोग को छोड़कर पानी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है।जिले के सभी शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्र के समस्त जल स्त्रोतों जिनमें नदी नाले स्टाप डैम सार्वजनिक कूप एवं अन्य जल स्त्रोत शामिल है उन्हें पेयजल तथा घरेलू कार्यों हेतु तत्काल प्रभाव से सुरक्षित किये जाने के आदेश दिये गये हैं। प्रतिबंध की अवधि में किसी भी व्यक्ति अथवा निजी एजेंसी द्वारा सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना नवीन नल कूप खनन की अनुमति नहीं होगी।शासकीय नल कूप खनन को प्रतिबंधों से छूट दी गयी है।जारी आदेश के अनुसार प्रतिबंध की अवधि में यदि कोई व्यक्ति अपनी निजी भूमि पर नल कूप खनन कराना चाहता है तो उसे निर्धारित प्रारूप में शुल्क सहित अपने क्षेत्र के एसडीएम को आवेदन करना होगा। लिखित अनुमति मिलने के बाद ही नल कूप खनन किया जा सकेगा।यदि किसी क्षेत्र में सार्वजनिक पेयजल स्त्रोत सूख जाते हैं तथा विकल्प के रूप में अन्य सार्वजनिक पेयजल स्त्रोत उपलब्ध नहीं है ऐसी स्थिति में एसडीएम निजी पेयजल स्त्रोत को निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार अधिग्रहीत कर सकेंगे।प्रतिबंध के आदेश 15 जुलाई 2023 तक लागू रहेंगे। प्रतिबंध की अवधि में पेयजल परिरक्षण अधिनियम का उल्लंघन करने पर दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 188 के तहत दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। सभी एसडीएम तहसीलदार पुलिस अधिकारियों तथा पीएचई विभाग के अधिकारियों को जारी आदेश का पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिये हैं।तत्काल प्रभाव से आदेश लागू किया जाना आवश्यक होने के कारण यह आदेश दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (2) के तहत एक पक्षीय रूप से पारित किया जाता है।