रीवा के मिनरवा अस्पताल में उपचार के दौरान ममता गुप्ता नामक महिला की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर अवैध वसूली और लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए। मामले की सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया।
ममता गुप्ता, निवासी बैकुंठपुर, भागवत कथा सुनने के बाद अपने घर लौट रही थीं। इस दौरान सिरमौर चौराहे के ओवरब्रिज पर अज्ञात वाहन ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। हादसे में उनके सिर और नाक पर गंभीर चोटें आईं। परिजनों ने उन्हें तत्काल संजय गांधी अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उनकी हालत को बेहद गंभीर बताते हुए इलाज करने से मना कर दिया।
इसके बाद परिजन महिला को मिनरवा अस्पताल ले गए। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने महिला को मृत घोषित करने के बजाय वेंटिलेटर पर रखा और इलाज के नाम पर भारी-भरकम राशि वसूली।
परिजनों के आरोप
परिजनों ने आरोप लगाया कि मिनरवा अस्पताल ने पहले 90,000 जमा कराए। इसके बाद 1,80,000 की दवाइयों का खर्च बताया गया। एमआरआई और अन्य टेस्ट के लिए 7,000 अतिरिक्त लिए गए।
परिजनों के अनुसार, अस्पताल ने दावा किया कि महिला के ब्रेन, पेट और आंखों में ऑपरेशन करना होगा और इसके लिए 25 लाख की मांग की।
महिला को मृत बताते हुए वसूली जारी:
परिजनों ने बताया कि संजय गांधी अस्पताल में डॉक्टरों ने पहले ही महिला को मृत घोषित कर दिया था। इसके बावजूद मिनरवा अस्पताल ने इलाज के नाम पर वसूली की और महिला को वेंटिलेटर पर रखा।
मृतिका के बेटे दिलीप गुप्ता ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को महिला से मिलने तक नहीं दिया। उन्हें सिर्फ दूर से महिला को दिखाया गया।
पुलिस कार्रवाई और हंगामा
जब परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया, तो प्रबंधन ने चुपचाप महिला के शव को संजय गांधी अस्पताल की मरचुरी भेज दिया। परिजनों को इसकी सूचना तक नहीं दी गई। हंगामे के बाद सिविल लाइन पुलिस मौके पर पहुंची और मामले को शांत कराया।
सवालों के घेरे में अस्पताल
इस घटना ने रीवा के प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों से भारी वसूली और लापरवाही के मामलों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों ने प्रशासन से मांग की है कि अस्पतालों के लिए इलाज की एक निश्चित शुल्क सीमा निर्धारित की जाए ताकि गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को ऐसी परिस्थितियों में लूट का शिकार न होना पड़े।
रीवा में लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहां अस्पताल प्रबंधन मरीजों और उनके परिजनों से इलाज के नाम पर बड़ी धनराशि वसूलते हैं। यह घटना प्रशासन के लिए चेतावनी है कि प्राइवेट अस्पतालों की कार्यशैली पर अंकुश लगाने के लिए कड़े नियम बनाए जाएं।