Friday, December 5, 2025

MP News : प्रधानमंत्री मोदी आज करेंगे आनंदपुर धाम दौरा, गुरुजी महाराज मंदिर में करेंगे पूजा

क्या आप सोच सकते हैं कि एक प्रधानमंत्री… चकाचौंध, भाषणों और राजनीतिक नारों से दूर, गऊओं की सेवा करता दिखे, किसी छोटे से गाँव में बने आश्रम की मिट्टी को माथे से लगाए…? आज कुछ ऐसा ही होने जा रहा है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी… राजनीति से परे, धर्म और सेवा के पथ पर… मध्य प्रदेश के ईसागढ़ तहसील स्थित आनंदपुर धाम पहुंच रहे हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक दौरा नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक चेतना को जीवंत करने का प्रयास है – एक ऐसी विरासत जिसे अब तक मीडिया की हेडलाइंस में कम जगह मिली है।

ईसागढ़ का आनंदपुर धाम केवल मंदिरों और सत्संग तक सीमित नहीं है, यह एक समर्पण, सेवा और आध्यात्मिक साधना का विशाल केंद्र है, जो पूरे 315 हेक्टेयर में फैला है। यहाँ संचालित होती है एक आधुनिक गौशाला, जिसमें 500 से अधिक गौवंश हैं। यही नहीं, श्री आनंदपुर ट्रस्ट द्वारा स्थापित चैरिटेबल अस्पताल में रोजाना 600 से ज़्यादा मरीज़ों की ओपीडी होती है। डॉक्टर, सर्जन, नेत्र विशेषज्ञ, और फिजियोथेरेपिस्ट – सभी यहाँ मौजूद हैं, सेवाभाव के साथ। मोदी का यह दौरा, इन सेवाओं को मान्यता देने का प्रतीक बन रहा है, वो कह रहे हैं – “सच्चा भारत मंदिरों में ही नहीं, इंसानियत की सेवा में बसता है।”

जहां देशभर में शिक्षा पर बहसें होती हैं, वहीं आनंदपुर धाम शिक्षा को ज़मीन पर उतार चुका है। आनंद प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय और मिडिल स्कूल – तीनों मिलकर 1215 छात्रों को निःशुल्क शिक्षा दे रहे हैं। 62 शिक्षक यहां सेवा भाव से बच्चों का भविष्य गढ़ रहे हैं। ये सिर्फ स्कूल नहीं, संस्कार के केंद्र हैं, जो आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत की झलक देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी का यहां आना, न केवल धार्मिक आस्था का सम्मान है, बल्कि उन अनसुनी कोशिशों को सलाम है जो देश के कोने-कोने में चल रही हैं।

श्री आनंदपुर ट्रस्ट केवल ईसागढ़ में ही सीमित नहीं है। इसकी शाखाएं पुणे, जम्मू, मुंबई, बेंगलुरु, गोंडा, सतारा, दिल्ली, धौलपुर, शिवपुरी, ग्वालियर और इंदौर तक फैली हैं। यह ट्रस्ट वैशाखी, गुरु पूर्णिमा, दीपावली, मकर संक्रांति और श्री परमहंस जी के जन्मोत्सव जैसे पर्व बड़े उत्साह से मनाता है – वह भी बिना किसी सरकारी तामझाम के। मोदी का यह दौरा न केवल एक धाम को, बल्कि भारत की विविध आध्यात्मिक परंपराओं को जोड़ने का प्रयास है – एक राष्ट्र-निर्माण जो संस्कारों से शुरू होता है।

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