- “महाकुंभ की पवित्र धारा, जीवन का सच्चा सार है,
वहीं मिलता है मोक्ष का आशीर्वाद, जहां आस्था का संसार है।
संगम की गहराई में बसी, आत्मा की शांति की सवारी,
यह मेला हर दिल में उमंग, और विश्वास का परिचय है।”
2. “महाकुंभ का रंग है निराला, सच्ची आस्था की सवारी,
हर मन में जो गूंजे मंत्र, वही है जीवन का मार्गदर्शक तारा।
संगम की रेत पर कदम रखो, हर बाधा की होगी संहार,
यह मेला हम सब को सिखाए, प्रेम ही है जीवन का आधार।”
3. “हर एक बूंद गंगा की, जीवन में सुख की राह दिखाए,
महाकुंभ का मेला हमें, आत्मा की शांति सिखाए।
कर्मों की पवित्रता में, मोक्ष का जो मिल जाए तात्पर्य,
इसी संगम से होती है सच्ची आस्था की शुरुआत।”
4.“महाकुंभ में एक साथ बहे, आस्था, विश्वास, और प्रेम,
संगम के इस पावन तट पर, हर दिल की हो एक नई शांति धारा।
आध्यात्मिक ज्ञान से भरे, हर कदम हो ब्रह्म के समीप,
यह मेला सबको सिखाए, जीवन के अर्थ का सच्चा पाठ।”
5. “आस्था की आंच पर जलते हैं, महाकुंभ के दीप,
यह मेला नहीं सिर्फ एक उत्सव है, यह है आत्मा का अनुभव गहरी शांति।
संगम की पवित्र धारा में, बहे निरंतर शुभता का संकेत,
हर पाप धोते हुए मन, सच्ची धारा में मन का विश्राम मिलेगा।”
6. “महाकुंभ की सवारी में, हो जाता है दिल शुद्ध,
संगम में बसा आशीर्वाद, शांति का अद्वितीय रथ।
धरती पर अमृत वर्षे, भगवान के चरणों में बसे,
आस्था और प्रेम में डूबे, हम सच्चे मार्ग पर चले।”
7. “महाकुंभ का मेला, दिलों का संकल्प होता है,
आस्था का संगम, हमारे जीवन का मार्गदर्शन बनता है।
हर भक्त में प्रकट होती है एक नई ऊर्जा,
यह मेला हमें याद दिलाता है, सत्य से जुड़ी होती है सबकी यात्रा।”
8. “महाकुंभ की धारा से, जीवन में उभरता है नया जोश,
हर कदम जो बढ़ता है, वह होता है शांति से भरपूर।
इस पावन मेले में बसी, आत्मा की सच्ची शांति की शक्ति,
यह मेला है एक नया जन्म, जिसमें हर व्यक्ति पाता है रचनात्मकता।”
9. “महाकुंभ में हर पल महिमा का असर है,
आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत है हर एक सफर है।
विपत्तियों को मात देकर, हर दिल में शांति बसाए,
यह मेला सिखाए हमें, जीवन को प्रेम से अपनाए।”
10. “आस्था का यह पर्व सच्चा, हर दिल में एक मंत्र है,
महाकुंभ की हर धारा में, समर्पण और विश्वास का जल है।
संगम के पानी में डूबे, होती है आत्मा की शुद्धि,
हर भक्त की श्रद्धा से ही, दूर होती है हर अधार्मिक कुत्सित तृष्णा।”