17 सालों बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का नाइजीरिया दौरा, ऊर्जा और रक्षा सहयोग पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाइजीरिया यात्रा दोनों देशों के रिश्तों में एक नई ऊर्जा भरने के उद्देश्य से हो रही है। यह दौरा भारत-अफ्रीका के साझेदारी को मजबूत करने का प्रतीक है, विशेषकर ऐसे समय में जब नाइजीरिया अपनी गंभीर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है।
भारत और नाइजीरिया के बीच ऐतिहासिक संबंध हैं जो ब्रिटिश उपनिवेश से स्वतंत्रता के बाद से बने हुए हैं। नाइजीरिया, जो अफ्रीका का सबसे बड़ा जनसंख्या वाला देश और दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। दोनों देशों में लगभग 50,000 भारतीय प्रवासी हैं जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में सक्रिय योगदान दे रहे हैं।
भारत ने पिछले वर्ष अफ्रीकी संघ को G20 में शामिल करवाने की पहल की, जो भारत के अफ्रीका के साथ बढ़ते रिश्तों का प्रमाण है। इस दौरे के दौरान रक्षा क्षेत्र में भी सहयोग की संभावना है, जिसमें भारत नाइजीरिया को छोटे हथियार, बख्तरबंद वाहन, और लड़ाकू विमान उपलब्ध करा सकता है।
वर्तमान में, नाइजीरिया मुद्रास्फीति की मार झेल रहा है, और वहां की मुद्रा नाइरा में गिरावट आ रही है। ऐसे में राष्ट्रपति बोलर टीनूबू की नजर भारतीय कंपनियों के निवेश पर है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह यात्रा दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को और मजबूत करेगी, विशेषकर ऊर्जा और वित्तीय स्थिरता के क्षेत्रों में।
प्रधानमंत्री मोदी की नाइजीरिया यात्रा भारत-अफ्रीका संबंधों में नया मोड़ ला सकती है। भारत का उद्देश्य न केवल आर्थिक सहयोग है, बल्कि सुरक्षा और स्थिरता में भी सहयोग बढ़ाना है, ताकि दोनों देश मिलकर वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सकें।