प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों मॉरीशस दौरे पर हैं, जहां उनका स्वागत पारंपरिक भोजपुरी गीत से किया गया। यह सिर्फ एक सांस्कृतिक मेल-जोल नहीं था, बल्कि बिहार की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत भी था। पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत भी भोजपुरी में की और मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम को बिहार के प्रसिद्ध मखाने उपहार में दिए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस यात्रा के जरिए बीजेपी ने बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए एक नई रणनीति अपनाई है।
भोजपुरी से भावनात्मक जुड़ाव और चुनावी संकेत
मॉरीशस को ‘मिनी बिहार’ कहा जाता है, क्योंकि यहां की 70% आबादी भारतीय मूल की है और 54% लोग भोजपुरी बोलते हैं। पीएम मोदी का भोजपुरी में भाषण और सोशल मीडिया पोस्ट सीधे बिहार के उन मतदाताओं तक पहुंचने का प्रयास है, जिनका झुकाव पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी से कम होता गया। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में भोजपुरी बेल्ट में एनडीए को बड़ा नुकसान हुआ था। खासकर बक्सर, रोहतास, कैमूर और औरंगाबाद में पार्टी को करारी हार झेलनी पड़ी। ऐसे में भोजपुरी के जरिए भावनात्मक जुड़ाव बनाना बीजेपी की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
बीजेपी के लिए भोजपुरी बेल्ट क्यों अहम?
बिहार के भोजपुर, सारण और चंपारण क्षेत्र की 73 विधानसभा सीटों में 2020 के चुनाव में महागठबंधन ने 45 सीटों पर कब्जा किया था, जबकि एनडीए को मात्र 27 सीटें मिली थीं। भोजपुरी क्षेत्र में बीजेपी का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा, जबकि पहले यह इलाका पार्टी का मजबूत गढ़ माना जाता था। यही वजह है कि बीजेपी अब इस क्षेत्र में मतदाताओं को वापस अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए भोजपुरी संस्कृति और भाषा को चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
पीएम मोदी का ‘गवई’ गीत पर तालियां बजाना—संयोग या रणनीति?
पीएम मोदी जब मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुईस पहुंचे, तो वहां महिलाओं के एक समूह ने उनका स्वागत ‘गवई’ भोजपुरी गीत से किया। यह गीत शादी-ब्याह और खुशी के मौकों पर गाया जाता है और 2016 से यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। पीएम मोदी इस गीत पर लंबे समय तक तालियां बजाते रहे, जिससे यह संदेश गया कि वह भोजपुरी संस्कृति को खास महत्व दे रहे हैं। यह कदम सिर्फ मॉरीशस में बसे भारतीयों के लिए नहीं, बल्कि बिहार के मतदाताओं के लिए भी एक मजबूत संदेश था।
क्या पीएम मोदी की मॉरीशस यात्रा से बदलेगा बिहार का सियासी समीकरण?
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। केंद्र सरकार ने हाल ही में बिहार के मखाना उद्योग के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, और अब पीएम मोदी ने मॉरीशस में बिहार के मखाने उपहार में देकर इसे और मजबूती दी है। यह साफ दिखाता है कि इस विदेश यात्रा के जरिए भी बिहार में चुनावी माहौल तैयार किया जा रहा है। भोजपुरी बेल्ट में पिछले चुनावों में हुए नुकसान को देखते हुए बीजेपी इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। पीएम मोदी की मॉरीशस यात्रा सिर्फ एक कूटनीतिक मिशन नहीं, बल्कि एक सोची-समझी चुनावी रणनीति भी हो सकती है, जिसका असर आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है।