सीमा पार से आई एक तेज़ आवाज़… और फिर गोलियों की बारिश! छठे दिन लगातार पाकिस्तान ने एलओसी पर सीजफायर का उल्लंघन किया, और इस बार खेल सिर्फ एलओसी तक सीमित नहीं रहा — फायरिंग की गूंज इंटरनेशनल बॉर्डर तक पहुँच चुकी है। सवाल सिर्फ गोलियों का नहीं है, सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान एक बार फिर किसी घुसपैठ या आतंकी साजिश की जमीन तैयार कर रहा है? भारतीय सेना ने भी इस बार चुप नहीं रहने का फैसला किया — जवाब ऐसा दिया गया कि पाकिस्तान की पोस्टों पर खामोशी छा गई। लेकिन ये खेल अभी खत्म नहीं हुआ… दरअसल, ये शुरुआत है एक बड़े टकराव की।
पाकिस्तान की गोलीबारी सिर्फ एक-दो पोस्ट तक सीमित नहीं रही, बल्कि नौशेरा, सुंदरबनी और अखनूर जैसे संवेदनशील सेक्टरों तक फैल चुकी है। भारतीय सेना के सूत्रों के अनुसार, 24 अप्रैल से लेकर 29 अप्रैल तक लगभग हर रोज किसी न किसी बिंदु पर फायरिंग हुई। खास बात ये है कि इस बार पहली बार अंतरराष्ट्रीय सीमा यानी इंटरनेशनल बॉर्डर पर भी गोलीबारी दर्ज की गई है — ये पाकिस्तान की ओर से सीधे युद्ध जैसे हालात बनाने की कोशिश मानी जा रही है। सूत्रों की मानें तो LOC के पुंछ और कुपवाड़ा जैसे इलाकों में भी भारी गोलीबारी हुई है, जिसका मकसद आतंकियों को भारत में धकेलना हो सकता है।
भारत ने सिर्फ जवाब नहीं दिया, बल्कि एक ठोस रणनीति के तहत जवाब दिया। सूत्र बताते हैं कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान की लगभग हर गोली का जवाब दोगुना गोले और बारूद से दिया है। LOC पर भारतीय जवान न सिर्फ अलर्ट हैं, बल्कि सामने से आने वाले हर खतरे को पहले ही पहचानकर उसे कुचलने की पूरी तैयारी में हैं। जवाबी कार्रवाई के दौरान कुछ पाकिस्तानी चौकियों को गंभीर नुकसान भी पहुंचा है — हालांकि सरकार की तरफ से इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। सेना के उच्च अधिकारी लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं और किसी भी बड़े हमले या घुसपैठ की आशंका को लेकर चौकसी बरती जा रही है।
विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की ये हरकतें सिर्फ सैन्य उद्देश्य से नहीं, बल्कि आंतरिक अस्थिरता से ध्यान भटकाने की कोशिश भी हो सकती हैं। आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और कट्टरपंथी ताकतों के दबाव में घिरा पाकिस्तान अक्सर भारत विरोधी कार्रवाइयों का सहारा लेता रहा है। LOC पर गोलीबारी के जरिए वो न सिर्फ अपनी सेना को ‘सक्रिय’ दिखाना चाहता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भी खींचना चाहता है। लेकिन इस बार भारत के कड़े रुख ने पाकिस्तान की इस रणनीति को काफी हद तक नाकाम कर दिया है।





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