“पहलगाम हमले पर बेहूदा बयान, अंतरराष्ट्रीय जांच की फरियाद — पाकिस्तान की बौखलाहट साफ़”
“परमाणु हमले की धमकी देने वाला पाकिस्तान… अचानक क्यों घुटनों पर आ गया? क्या पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने उसे ऐसा झटका दिया है कि अब वो युद्ध से बचने की मिन्नतें कर रहा है? आज हम आपको बताएंगे कि कैसे पाकिस्तान की ‘परमाणु चालबाजियों’ का परदा खुद उसके नेताओं ने फाड़ दिया है।
पहलगाम में हुए दर्दनाक आतंकी हमले के बाद, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का बयान चौंकाने वाला आया। उन्होंने बेशर्मी से आरोप लगाया कि “यह हमला भारत ने खुद करवाया है ताकि पाकिस्तान को बदनाम किया जा सके।” जी हां, वही पाकिस्तान जो वर्षों से आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप झेलता आया है, अब अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए उल्टे भारत पर उंगली उठा रहा है। ख्वाजा आसिफ ने दावा किया कि पाकिस्तान भारत के साथ युद्ध नहीं चाहता, लेकिन अगर भारत ने हमला किया तो पाकिस्तान भी जवाब देने को तैयार है। पर सवाल ये उठता है — क्या युद्ध की धमकी देने वाला देश अब डर के साये में है?
ख्वाजा आसिफ ने तो सिंधु जल समझौते का मुद्दा भी छेड़ दिया। उन्होंने कहा कि भारत पानी को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है और पाकिस्तान विश्व बैंक से इस पर शिकायत करेगा। पानी की लड़ाई, परमाणु धमकी और पहलगाम हमले का बहाना — पाकिस्तान हर मोर्चे पर खुद को पीड़ित साबित करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन असलियत ये है कि पहलगाम हमले के बाद भारत में गुस्से की लहर है, और पाकिस्तान को डर है कि कहीं भारत इस बार कोई कड़ा जवाब न दे। शायद इसी बौखलाहट में अब वहां के मंत्री ‘युद्ध नहीं चाहते’ जैसे बयान दे रहे हैं।
बौखलाए पाकिस्तान ने अब एक और अजीब मांग रखी है — पहलगाम हमले की जांच के लिए रूस, चीन और पश्चिमी देशों की मदद चाहता है। ख्वाजा आसिफ ने साफ कहा कि “रूस या चीन या कोई भी पश्चिमी देश इस मामले में सकारात्मक भूमिका निभाए और जांच करे कि भारत सच बोल रहा है या झूठ।” पाकिस्तान को अब खुद अपने ही बयानों पर भरोसा नहीं रहा। यही वजह है कि वह अंतरराष्ट्रीय जांच की गुहार लगा रहा है। लेकिन सवाल ये है — क्या दुनिया पाकिस्तान की सफाई पर यकीन करेगी, जब उसके अतीत में आतंकवाद को संरक्षण देने के हजारों सबूत मौजूद हैं?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी इस मांग का समर्थन किया है। शहबाज शरीफ ने कहा कि “भारत को इस हमले के पीछे का दोषी साबित करने के लिए सबूत पेश करने चाहिए।” लेकिन इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान ने हर बार आतंकवाद को सिर्फ बयानबाज़ी से ढकने की कोशिश की है, ना कि सच्चे जवाबदेही से। खोखले बयान, साजिशों के झूठे किस्से और अब अंतरराष्ट्रीय दलों की फरियाद — ये सब पाकिस्तान की बेचैनी को ही उजागर कर रहे हैं। एक ओर आतंकी पनाहगाह बन चुका पाकिस्तान, दूसरी ओर शांति और जवाबदेही की बातें कर रहा है। यह दोहरे चरित्र की राजनीति अब ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगी।
पाकिस्तान का असली डर अब युद्ध से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय बदनामी का है। पहलगाम हमले के बाद वैश्विक दबाव से घिरा पाकिस्तान खुद को निर्दोष साबित करने की आखिरी कोशिश कर रहा है। लेकिन भारत का धैर्य भी अब जवाब मांग रहा है। जब आतंकी हमलों की जिम्मेदारी लेने से बचने के लिए झूठ और आरोपों का सहारा लिया जाता है, तो सच्चाई और भी ज्यादा उभरकर सामने आती है।





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