आतंक की छाया में कश्मीर, सेना प्रमुख की अहम यात्रा
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले के बाद हालात बेहद संवेदनशील हो गए हैं। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस गंभीर स्थिति की समीक्षा के लिए भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी शुक्रवार को श्रीनगर पहुंचेंगे। वे वहां कश्मीर घाटी और नियंत्रण रेखा पर चल रहे आतंकवाद विरोधी अभियानों का जायज़ा लेंगे। उनके साथ 15 कॉर्प्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग और राष्ट्रीय राइफल्स के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के इस उच्च स्तरीय दौरे से यह संकेत मिलता है कि केंद्र सरकार आतंकवाद पर सख्त रुख अपनाने के मूड में है।
विदेश मंत्रालय की कूटनीति – G20 देशों को दी गई जानकारी
इस हमले के बाद, भारत सरकार ने कूटनीतिक मोर्चे पर भी सक्रियता दिखाई है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जर्मनी, जापान, पोलैंड, ब्रिटेन और रूस समेत G20 देशों के राजदूतों को घटना की जानकारी दी। इस बैठक में अमेरिका, फ्रांस, चीन, कनाडा, इटली, कतर और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि भी शामिल थे। करीब 30 मिनट चली इस महत्वपूर्ण मीटिंग में आतंकियों के मंसूबों और भारत की आगामी रणनीति को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। भारत ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि अब आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह सीमा पार से आए या देश के भीतर छिपा हो।
पाकिस्तान को करारा जवाब – वीज़ा सेवा और सिंधु जल संधि पर रोक
भारत सरकार ने इस हमले के जवाब में पाकिस्तान के खिलाफ दो बड़े फैसले लिए हैं। पहला, पाकिस्तानी नागरिकों को दी जा रही वीज़ा सेवा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। दूसरा, भारत ने ऐतिहासिक सिंधु जल संधि को भी रोक दिया है, जिसके तहत पाकिस्तान को सिंधु और उसकी सहायक नदियों का पानी मिलता था। यह कदम पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है, खासकर कृषि क्षेत्र के लिए जो सिंचाई के लिए इन नदियों पर निर्भर है। अब भारत इन नदियों पर बांध और जलाशयों का निर्माण बिना पाकिस्तान की मंजूरी के कर सकेगा, जो पहले संधि के तहत संभव नहीं था।
आगे क्या होगा? भारत की रणनीति और विकल्प
सिंधु जल संधि की समाप्ति की संभावना अब गंभीर रूप ले चुकी है। भारत ने पहले ही संधि की समीक्षा और संशोधन की मांग की थी, और अब Vienna Convention के अनुच्छेद 62 के तहत मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर संधि को रद्द किया जा सकता है। भारत के पास अब जलाशयों की फ्लशिंग और भराव की पूरी स्वतंत्रता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे पाकिस्तान की बाढ़ और जल संकट की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। साथ ही, पाकिस्तान के निरीक्षण दौरे जो संधि के तहत अनिवार्य थे, अब रोके जा सकते हैं। यह भारत की ओर से एक मजबूत रणनीतिक और कूटनीतिक संदेश है कि अब हर हमले का जवाब ठोस और निर्णायक होगा।







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