कांग्रेस के बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप, राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई 25 अप्रैल को तय पहला बड़ा कानूनी कदम: गांधी परिवार पर शिकंजा
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में बड़ा कदम उठाते हुए कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस ओवरसीज प्रमुख सैम पित्रोदा के खिलाफ दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। इस चार्जशीट में वरिष्ठ पत्रकार सुमन दुबे और अन्य लोगों के नाम भी शामिल हैं। यह पहली बार है जब गांधी परिवार के किसी सदस्य पर इस प्रकार की कानूनी कार्यवाही की गई है।
चार्जशीट से पहले रॉबर्ट वाड्रा से पूछताछ
दिलचस्प बात यह है कि यह चार्जशीट उस दिन दाखिल की गई जब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति और कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा से हरियाणा की एक रियल एस्टेट डील को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग के सिलसिले में पूछताछ की गई थी। इसके कुछ ही घंटों बाद ईडी ने गांधी परिवार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी, जिससे यह मामला और भी ज्यादा संवेदनशील और राजनीतिक रंग ले चुका है।
करोड़ों की संपत्ति जब्त: दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में ईडी की कार्रवाई
ईडी ने अब तक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) और यंग इंडिया लिमिटेड की लगभग 751.9 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। जांच एजेंसी का आरोप है कि इन संपत्तियों की खरीद फर्जी लेनदेन और मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए की गई थी। ये कार्रवाई दिल्ली, मुंबई और लखनऊ जैसे बड़े शहरों में की गई है, जिससे केस की गंभीरता और व्यापकता साफ नजर आती है।
कांग्रेस का पलटवार: इसे बताया गया बदले की राजनीति
इस पूरे मामले पर कांग्रेस ने तीखा पलटवार किया है। पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने इसे ‘राज्य प्रायोजित बदले की कार्रवाई’ करार दिया। उन्होंने कहा, “यह सब प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के इशारे पर हो रहा है। नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों की जब्ती कानून के नाम पर राजनीतिक प्रतिशोध है। लेकिन कांग्रेस और उसका नेतृत्व चुप नहीं बैठेगा।”
अगली सुनवाई की तारीख तय
राउज एवेन्यू कोर्ट ने इस चार्जशीट पर सुनवाई की अगली तारीख 25 अप्रैल तय की है। अब देखना होगा कि देश की राजनीति में इस मामले का कितना गहरा प्रभाव पड़ता है, और क्या यह कांग्रेस के लिए आगामी चुनावों में नई चुनौती बनकर उभरता है।
निष्कर्ष:
नेशनल हेराल्ड केस अब सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि राजनीतिक हलकों में गर्म बहस का केंद्र बन गया है। कांग्रेस जहां इसे लोकतंत्र और विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश बता रही है, वहीं सरकार इसे कानून के तहत की गई सामान्य कार्रवाई बता रही है। सच्चाई क्या है, इसका फैसला अदालत ही करेगी।