क्या आप तैयार हैं उस आग की लपटों से लड़ने के लिए, जो आसमान से नहीं, धरती से उठ रही हैं? मध्यप्रदेश की सड़कों पर, खेतों में, छांव ढूंढते चेहरों पर एक ही सवाल है — कब थमेगी ये जलती हुई हवा? रतलाम, सीधी, सागर से लेकर सतना तक, गर्मी अब एक मौसम नहीं, बल्कि संकट बन गई है। 18 जिलों में जारी हुआ हीटवेव अलर्ट, और कई जगह तापमान ने पार कर लिया 44 डिग्री का खतरे का निशान। क्या ये महज़ एक मौसमीय बदलाव है या एक चेतावनी? आइए, इस तपते सच को जानते हैं विस्तार से।
मौसम विभाग के अनुसार मध्यप्रदेश में गर्मी ने अपने तीखे तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। बुधवार को रतलाम में अधिकतम तापमान 44.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो इस सीज़न का सबसे अधिक है। छिंदवाड़ा, रीवा, सतना, बालाघाट, टीकमगढ़, पन्ना, सागर, मऊगंज और खंडवा जैसे जिले भी हीटवेव की चपेट में हैं। लू चलने की संभावना के चलते मौसम विभाग ने 18 जिलों के लिए अलर्ट जारी किया है। लोग धूप में निकलने से कतरा रहे हैं, और अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है।
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि गर्मी का ये तीखा दौर यूं ही नहीं आया। उत्तर-दक्षिणी द्रोणिका (ट्रफ लाइन) जो छत्तीसगढ़ से होते हुए कर्नाटक और तमिलनाडु तक फैली हुई है, वो मध्य भारत में गर्म और शुष्क हवाओं को बढ़ावा दे रही है। वहीं, जम्मू के पास सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ अब हिमालयी क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है, जिससे कुछ हिस्सों में मौसम के बदले तेवर देखने को मिल सकते हैं। हालांकि फिलहाल गर्मी में राहत की उम्मीद कम ही है, और अगले 3 से 4 दिन तक हालात ऐसे ही बने रहने की आशंका जताई जा रही है।
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अजय शुक्ला के मुताबिक, गर्म हवाएं उत्तर-पश्चिमी दिशा से आ रही हैं, जिससे तापमान में उतार-चढ़ाव हो सकता है, लेकिन यह मामूली होगा। वहीं, मौसम विज्ञानी पीके रायकवार ने बताया कि पूर्वी बिहार के ऊपर बना एक चक्रवात भी इस मौसमी प्रणाली को प्रभावित कर रहा है। राज्य के किसान, मजदूर और गरीब तबके इससे सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं, जिनके पास न तो शीतलन साधन हैं और न ही स्थायी छांव।






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