कल्पना कीजिए… एक बुजुर्ग महिला सड़क पर बेसुध पड़ी है। आसपास लोग हैं, पर कोई उसकी ओर बढ़ता नहीं। कुछ सोचते हैं, कुछ टकटकी लगाए देखते हैं, लेकिन मदद कोई नहीं करता। अब सोचिए अगर उस महिला के पास कोई ऐसा डिवाइस हो जो एक बटन दबाते ही उसके हालात की जानकारी, उसकी लोकेशन और लाइव वीडियो उसके परिजन या पुलिस तक पहुंचा दे — तो शायद उसकी जान बच सकती थी। सुनसान रास्तों, अकेले रह रहे बुजुर्गों, या अनजान भीड़ में फंसे किसी शख्स के लिए यह डिवाइस वरदान बन सकता है। यही सपना देखा है उज्जैन के पांच युवा इंजीनियरों ने — और उन्होंने इसे हकीकत में बदल भी दिया है।
उज्जैन के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन ब्रांच के पांच होनहार छात्र—मोहित कुमार, हर्ष श्रीवास्तव, राहुल सिंह रावत, ओम कृष्ण कुमार जायसवाल और विशाल रघुवंशी—ने अपने प्रोफेसर वाय.एस. ठाकुर के मार्गदर्शन में एक हाईटेक इमरजेंसी डिवाइस विकसित किया है। मात्र तीन महीनों की मेहनत और जुनून से तैयार इस डिवाइस को फिलहाल प्रोटोटाइप रूप में तैयार किया गया है, लेकिन इसकी उपयोगिता आने वाले समय में जन-जीवन की सुरक्षा को पूरी तरह बदल सकती है। खासकर सड़क हादसों, हार्ट अटैक, चोरी या महिलाओं पर हो रहे हमलों जैसी आपात परिस्थितियों में यह डिवाइस तुरन्त अलर्ट और लोकेशन भेजने में सक्षम है।
इस डिवाइस की खासियत यह है कि यह हमारे शरीर के सबसे संवेदनशील संकेतक — हार्टबीट — को मॉनिटर करता है। जैसे ही हार्टबीट सामान्य से नीचे (60) या ऊपर (78) जाती है, सेंसर अलर्ट एक्टिवेट कर देता है। इसके साथ ही डिवाइस GPS और GPRS तकनीक से लोकेशन ट्रैक कर अलर्ट मैसेज भेजता है। डिवाइस में SOS बटन भी मौजूद है, जिसे इमरजेंसी में दबाकर लाइव वीडियो फीड भी भेजी जा सकती है। इसमें दो-तरफा कॉलिंग सिस्टम भी है, जिससे जरूरतमंद व्यक्ति और उसके संपर्क में शामिल व्यक्ति आपस में बात भी कर सकते हैं। यानी एक ही डिवाइस में सुरक्षा, संवाद और स्थान जानकारी—all-in-one solution.
इस डिवाइस को खासतौर पर ऐसे लोगों के लिए डिजाइन किया गया है जो अकेले रहते हैं—चाहे वो शहरों में रह रहे बुजुर्ग हों या ग्रामीण इलाकों में अकेली महिलाएं। सिंहस्थ जैसे भीड़भाड़ वाले आयोजनों में भी यह डिवाइस वरदान साबित हो सकता है। उज्जैन में आगामी कुंभ मेले को ध्यान में रखते हुए इसे विशेष रूप से डिजाइन किया गया है ताकि भीड़ में कोई व्यक्ति अगर गिर जाए, या गर्मी के कारण उसकी तबियत बिगड़ जाए, तो तत्काल उसकी लोकेशन और वीडियो संबंधित एजेंसी तक पहुंच जाए। प्रोफेसर ठाकुर ने इसे ‘मास हेल्थ सेफ्टी’ की दिशा में बड़ा कदम बताया है।
डिवाइस बनाने वाले छात्र हर्ष श्रीवास्तव बताते हैं कि आए दिन अखबारों में सड़क पर बेसहारा पड़े लोगों की मौत की खबरें पढ़कर उनके मन में यह विचार आया। “कई बार सुनसान जगहों पर हादसे होते हैं और मदद देर से मिलने के कारण लोगों की जान चली जाती है। हमें लगा कि कुछ ऐसा बनाना चाहिए जिससे रिस्पॉन्स टाइम कम हो सके। हमारी प्रेरणा वही असहाय लोग हैं, जो समय पर मदद न मिलने के कारण जिंदगी हार जाते हैं,” हर्ष कहते हैं। उनकी सोच ने ही इस डिवाइस को जन्म दिया है, जो समाज के सबसे कमजोर वर्ग को सबसे मजबूत टेक्नोलॉजी से जोड़ने का सपना देखता है।





Total Users : 13153
Total views : 32001