एक वांटेड भगोड़ा जो सालों से भारत से बाहर मजे से जिंदगी काट रहा था… न कोई रेड कॉर्नर नोटिस, न कोई आधिकारिक दबाव… और फिर एक दिन अचानक बेल्जियम से खबर आती है—मेहुल चोकसी गिरफ्तार!
क्या ये महज संयोग है? या फिर किसी बहुत ही शातिर रणनीति का हिस्सा?
क्योंकि ठीक एक महीने पहले भारत में आई थीं बेल्जियम की राजकुमारी एस्ट्रिड… और साथ में थे उनके देश के उप-प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री समेत 300 लोगों का हाई-प्रोफाइल प्रतिनिधिमंडल!
क्या इस दौरे की वजह सिर्फ व्यापारिक समझौते थे? या पर्दे के पीछे कुछ और भी तय हुआ था?
1 मार्च से 8 मार्च तक चली यह यात्रा जितनी शांत दिखी, उतनी ही गहरी थी। राजकुमारी एस्ट्रिड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लंबी बातचीत की—बात हुई व्यापार, रक्षा, शिक्षा, तकनीक, ऊर्जा और लोगों से लोगों के रिश्तों पर।
लेकिन जिन बातों का जिक्र सार्वजनिक मंचों पर नहीं हुआ, क्या वही बातें असल गेम-चेंजर साबित हुईं?
यात्रा के दौरान राजकुमारी ने न सिर्फ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बल्कि वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और विदेश मंत्री से भी मुलाकात की। और इन मुलाकातों में एक नाम ज़रूर शामिल रहा होगा—मेहुल चोकसी।
बेल्जियम में चुपचाप रह रहे मेहुल चोकसी ने वहां की नागरिकता तो नहीं ली, लेकिन रेज़िडेंसी कार्ड ज़रूर बनवा लिया था। इसकी एक बड़ी वजह ये भी हो सकती है कि उसकी पत्नी बेल्जियम मूल की हैं।
इस कनेक्शन का फायदा उठाकर वो भारत से भागकर नीरव मोदी की तरह बेल्जियम में ही बस गया।
लेकिन ये कनेक्शन ही उसके लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया—क्योंकि भारत-बेल्जियम के बीच भले ही औपचारिक प्रत्यर्पण संधि न हो, मगर हाल के वर्षों में दोनों देशों के रिश्ते जितने मजबूत हुए हैं, उनसे गैर-आधिकारिक प्रत्यर्पण की संभावना खुल जाती है।
इस दौरे में केवल चोकसी नहीं, व्यापार भी बड़ा मुद्दा रहा।
बेल्जियम ने भारत में 750 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई। बिजनौर जिले में बेल्जियम की मदद से फ्रेंच फ्राइज बनाने की एक फैक्ट्री की शुरुआत भी इसी यात्रा में हुई।
इसी के साथ-साथ दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा सहयोग पर भी चर्चा की।
कहीं ये आर्थिक और सामरिक समझौते, भारत की तरफ से मेहुल चोकसी को दबोचने का रास्ता तो नहीं खोल रहे थे?