क्या आपके बच्चे में है कोई छुपी हुई काबिलियत? क्या वो खेलों में कर सकता है कमाल? अगर हाँ, तो सावधान हो जाइए! क्योंकि एक ऐसी योजना शुरू होने जा रही है, जो आपके बच्चे का भविष्य पूरी तरह बदल सकती है। 1 मई से मध्यप्रदेश के 9 जिलों में शुरू होने जा रही है ‘पार्थ योजना’—एक ऐसा पायलट प्रोजेक्ट, जो सिर्फ 450 बच्चों को देगा वो खास मौका, जिसकी उन्हें वर्षों से तलाश थी। लेकिन ये चयन हर किसी के नसीब में नहीं होगा। इसके लिए चाहिए जुनून, तैयारी और थोड़ी सी किस्मत भी। आइए जानते हैं इस योजना की पूरी कहानी—सरकार की सोच से लेकर ग्राउंड पर इसकी तैयारी तक।
‘पार्थ योजना’ मध्यप्रदेश सरकार का एक अनोखा और महत्वाकांक्षी प्रयास है, जिसे खेल एवं युवा कल्याण विभाग के मंत्री श्री विश्वास कैलाश सारंग के मार्गदर्शन में लागू किया जा रहा है। यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सबसे पहले 9 जिलों—भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा, मुरैना, शहडोल, सागर, इंदौर और उज्जैन—में शुरू होगी। हर जिले में 50 बच्चों का चयन कर उन्हें विशेष प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान किए जाएंगे। लक्ष्य है कि इन बच्चों को खेलों में प्रशिक्षित कर उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त किया जाए।
मंत्री विश्वास सारंग ने योजना की समीक्षा बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि इसकी हर प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। जिला कलेक्टरों के साथ चर्चा की जाएगी और अधिकारियों को स्थानों पर भेजा जाएगा, जो प्रशिक्षण स्थल की संरचना और इन्फ्रास्ट्रक्चर का मूल्यांकन करेंगे। प्रशिक्षण से पहले हर जिले में SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) तैयार की जाएगी—चयन प्रक्रिया से लेकर प्रशिक्षण और किट वितरण तक। इसके लिए एक समिति भी गठित की जा रही है, जो योजना के हर पहलू पर नजर रखेगी। सप्ताह में छह दिन प्रशिक्षण होगा और रविवार को बच्चों को स्वैच्छिक फिजिकल एक्टिविटी करने की छूट मिलेगी।
इस योजना में बच्चों की पात्रता, शैक्षणिक योग्यता, आयु, प्रशिक्षण समय, शुल्क, प्रशिक्षकों की व्यवस्था, किट वितरण, प्रचार-प्रसार सहित हर पहलू को गंभीरता से तैयार किया जा रहा है। मंत्री ने बच्चों की सुविधा के अनुसार समय तय करने और प्रशिक्षकों को उचित मानदेय देने के निर्देश भी दिए हैं। इसका उद्देश्य केवल प्रशिक्षण देना नहीं है, बल्कि बच्चों में खेल के प्रति अनुशासन, आत्मविश्वास और नेतृत्व की भावना को भी विकसित करना है। यह योजना विशेष रूप से उन परिवारों के बच्चों के लिए है, जिनके पास संसाधन सीमित हैं लेकिन सपना बड़ा है।
‘पार्थ योजना’ सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जिसे ‘खेलो-बढ़ो अभियान’ के रूप में आगे बढ़ाया जाएगा। इसके तहत स्कूलों का चयन कर सालभर का कैलेंडर तैयार किया जाएगा। मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षण दिया जाएगा और बच्चों को प्रेरित करने के लिए स्पेशल लिटरेचर और फिल्में भी बनाई जाएंगी। खास बात ये है कि योजना के अंतर्गत बच्चों को देश के नामचीन खिलाड़ियों से मिलने का मौका भी मिलेगा, ताकि वे प्रेरित हो सकें और खुद को उस ऊंचाई पर पहुंचाने का सपना देख सकें। यह योजना सिर्फ बच्चों के लिए नहीं, बल्कि भविष्य के भारत के लिए है।







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