भोपाल की शांत सुबह अचानक तब अफरा-तफरी में बदल गई, जब आसमान में दूर-दूर तक फैला काला धुआं नजर आने लगा। घटनास्थल—देश की सबसे बड़ी सरकारी कंपनियों में शुमार BHEL का कारखाना। लोगों ने जैसे ही ऊपर निगाह डाली, उन्हें कुछ समझ नहीं आया कि आखिर ये हुआ क्या है! लेकिन जल्द ही खबर आई—BHEL के गेट नंबर 9 के पास मौजूद मटेरियल स्क्रैप यानी कचरे के ढेर में आग लग गई है। आग इतनी भीषण थी कि लपटें आस-पास के पेड़ों को निगल गईं और धुआं शहर के 15 किलोमीटर के दायरे तक फैल गया। आग ने सिर्फ हवा में नहीं, बल्कि लोगों के मन में भी डर का धुआं भर दिया।
बीच में एक और सनसनीखेज दावा सामने आया—कारखाने के भीतर आईल टंकियां भी रखी थीं, जिनमें विस्फोट हुआ! हालांकि BHEL प्रबंधन ने इस पर चुप्पी साध ली है। न तो विस्फोट की पुष्टि हुई, न ही उसे पूरी तरह नकारा गया। लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग फैलने की रफ्तार बेहद तेज थी, और कई लोगों ने धमाके जैसी आवाजें भी सुनीं। क्या ये महज़ संयोग था या अंदर कुछ छिपाया जा रहा है? यह सवाल प्रशासन और प्रबंधन दोनों के सिर पर मंडरा रहा है।
BHEL की सुरक्षा में तैनात CISF की फायर यूनिट और नगर निगम की दमकलें मौके पर पहुंचीं और आग बुझाने का प्रयास शुरू किया। करीब 11 बजे लगी इस आग को कई घंटों की मशक्कत के बाद काफी हद तक काबू में लाया गया, लेकिन तब तक सैकड़ों लोग इसे सोशल मीडिया पर लाइव कर चुके थे। भेल के प्रवक्ता विनोदानंद झा ने कहा कि “ड्राइवरों द्वारा फेंके गए स्क्रैप में आग लगी थी, जिसे नियंत्रित कर लिया गया है और किसी बड़ी क्षति की खबर नहीं है।” लेकिन सवाल यह है कि यदि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, तो प्रशासन क्यों हरकत में आया?
जैसे ही आग की खबर फैली, भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह, गोविंदपुरा एसडीएम रवीश श्रीवास्तव समेत तमाम प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए गए हैं। लेकिन इस आग के पीछे की कहानी अब भी अधूरी है। कोई CCTV फुटेज सामने नहीं आया, और न ही आग लगने के सही कारण की पुष्टि हुई है। अगर ये लापरवाही है, तो जिम्मेदार कौन है? और अगर ये साज़िश है, तो पर्दे के पीछे कौन?






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