उज्जैन की शांत घाटी, मां शिप्रा के किनारे बहती शीतल धारा और अचानक एक ऐसा बयान… जिसने नक्सलियों की नींद उड़ा दी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत घाट की सफाई करते-करते कुछ ऐसा कह दिया, जो केवल एक चेतावनी नहीं बल्कि एक सख्त अल्टीमेटम था। शिप्रा में डुबकी लगाने के बाद मीडिया से मुखातिब हुए सीएम ने सीधे कहा – “सरेंडर कर दो, नहीं तो मारे जाओगे। अब और कोई विकल्प नहीं बचा है।” इस बयान ने सियासी और सुरक्षा गलियारों में हलचल मचा दी है।
सीएम ने इस दौरान स्पष्ट किया कि मध्यप्रदेश सरकार केंद्र के साथ मिलकर 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने की योजना पर काम कर रही है। उन्होंने बताया कि बालाघाट और मंडला जैसे संवेदनशील इलाकों में निरंतर अभियान चलाकर अब तक 10 से अधिक दुर्दांत नक्सलियों का सफाया किया जा चुका है। उनका यह दावा सिर्फ शब्दों का खेल नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत से जुड़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा – “नक्सलियों के लिए अब मध्यप्रदेश की जमीन तंग कर दी जाएगी।”
सिर्फ राज्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि केंद्रीय नेतृत्व भी इस मोर्चे पर पूरी तरह सक्रिय है। 17 अप्रैल को नीमच में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीआरपीएफ के 86वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में स्पष्ट रूप से कहा था कि 2026 तक भारत को नक्सलवाद से मुक्त करना हमारी प्राथमिकता है। शाह ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रहे ‘विकसित भारत’ मिशन का अभिन्न हिस्सा बताया था। उन्होंने यह भी कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने में सीआरपीएफ की भूमिका सबसे निर्णायक होगी।
इससे पहले 1 मार्च को भी बालाघाट में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नक्सलियों को खुली चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था – “नक्सलियों को अब यहां टिकने नहीं देंगे। अगर जरूरत पड़ी, तो आखिरी हद तक जाएंगे। ये लोग विकास विरोधी हैं – न स्कूल पसंद, न सड़कें, सिर्फ दादागिरी के दम पर डर फैलाना जानते हैं। लेकिन अब उनका खेल खत्म होने वाला है।” मुख्यमंत्री की यह दृढ़ता बताती है कि सरकार अब सिर्फ बात नहीं, एक्शन के मूड में है।





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