Friday, December 5, 2025

MP NEWS: 118 किमी की पंचक्रोशी यात्रा में पहली बार कैमरे और मैसेजिंग सिस्टम का इस्तेमाल

आज से उज्जैन में शुरू हुई वैशाख मास की पंचक्रोशी यात्रा, श्रद्धालुओं के लिए एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक अनुभव बन गई है। यह यात्रा 27 अप्रैल तक चलेगी, और इस बार का आयोजन विशेष रूप से सिंहस्थ के मद्देनजर किया गया है। यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं की संख्या का सही आंकलन करने और भीड़-भाड़ को नियंत्रित करने के लिए कई नई तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। पांच स्थानों पर हेड काउंटिंग कैमरे लगाए गए हैं, जिससे हर पड़ाव पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या का पता लगाया जा सकेगा। इसके अलावा, एक ऑटोमैटिक मैसेजिंग सिस्टम भी लगाया गया है, जिसके माध्यम से कंट्रोल रूम से सभी पड़ावों पर एक साथ संदेश भेजे जा सकेंगे।

यह यात्रा उज्जैन के प्रसिद्ध नागचंद्रेश्वर मंदिर से शुरू होकर पिंगलेश्वर महादेव, कायावर्णेश्वर, दुर्दरेश्वर, नीलकंठेश्वर जैसे प्रमुख शिव मंदिरों का दर्शन करते हुए आगे बढ़ेगी। इस यात्रा की खासियत यह है कि हर मंदिर की परिक्रमा करते हुए श्रद्धालु अंत में शिप्रा नदी में स्नान करेंगे। 22 अप्रैल को ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन करने के बाद यात्रा की शुरुआत कर दी। 118 किलोमीटर के इस धार्मिक सफर में पांच दिन तक श्रद्धालु पुण्य अर्जित करेंगे और 33 कोटि देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।

इस बार के आयोजन में सबसे बड़ी खासियत यह है कि जिला प्रशासन ने यात्रा मार्ग और पड़ावों पर 6 हेड काउंटिंग मशीनें लगाई हैं। यह तकनीकी व्यवस्था पहली बार लागू की गई है, ताकि हर स्थान पर श्रद्धालुओं की संख्या का सही आंकलन किया जा सके और जरूरत पड़ने पर भीड़ को डायवर्ट किया जा सके। जिला पंचायत सीईओ, जयति सिंह ने बताया कि इन हेड काउंटिंग कैमरों की मदद से सिंहस्थ के लिए क्राउड मैनेजमेंट की प्रैक्टिकल रिहर्सल भी हो रही है। इसके अलावा, सीसीटीवी कैमरों और सेमी ऑटोमैटिक मैसेजिंग सिस्टम की मदद से सुरक्षा व्यवस्था को और भी मजबूत किया गया है।

पंचक्रोशी यात्रा का धार्मिक महत्व अत्यधिक गहरा है। यह यात्रा हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है और वैशाख मास के दौरान इसका आयोजन विशेष रूप से पुण्य देने वाला माना जाता है। स्कंदपुराण में उल्लेखित है कि वैशाख मास का समय भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय है, और इस महीने में श्रद्धालु दान-पुण्य, स्नान और धार्मिक कार्यों में भाग लेकर पुण्य प्राप्त करते हैं। यात्रा के दौरान 118 किलोमीटर के मार्ग पर पांच प्रमुख शिव मंदिरों का दर्शन और शिप्रा नदी में स्नान करने से श्रद्धालु अपने पापों से मुक्ति पा सकते हैं।

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