नर्सिंग फर्जीवाड़ा मामले में मप्र नर्सिंग काउंसिल कार्यालय से 11 से 16 दिसंबर तक का सीसीटीवी फुटेज गायब हो गया है. हाईकोर्ट ने भोपाल पुलिस कमिश्नर और साइबर सेल को जांच के आदेश दिए हैं मध्य प्रदेश नर्सिंग फर्जीवाड़ा मामले में अब नया मोड़ सामने आया है. खुलासा हुआ है कि नर्सिंग काउंसिल कार्यालय की 11 से 16 दिसंबर 2024 तक की सीसीटीवी फुटेज गायब कर दी गई है. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि तत्कालीन रजिस्ट्रार को हटाने के बाद अनियमितताओं से जुड़ी फाइलें और फुटेज जानबूझकर गायब कर दी गईं. इस मामले में हाईकोर्ट ने सीसीटीवी की जांच की जिम्मेदारी पुलिस कमिश्नर भोपाल समेत साइबर सेल को सौंपी है. मामले की 15 दिन में जांच कर सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश करनी होगी.
दरअसल, अब नर्सिंग काउंसिल में अनियमितताएं सामने आई हैं. हालांकि कोर्ट ने इस मामले को भोपाल पुलिस कमिश्नर और साइबर सेल को सौंपकर रिपोर्ट मांगी है. बता दें कि नर्सिंग फर्जीवाड़ा मामले में गुरुवार को लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ ही नर्सिंग के अन्य सभी मामलों की सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने मप्र नर्सिंग काउंसिल कार्यालय के 13 दिसंबर से 19 दिसंबर 2024 तक के सीसीटीवी फुटेज संरक्षित रखने और बंद लिफाफे में पेश करने के निर्देश जारी किए थे.
लेकिन गुरुवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में दस्तावेज पेश किए गए जिसमें बताया गया कि काउंसिल से 11 से 16 दिसंबर तक की सीसीटीवी फुटेज गायब है जिसके बाद याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट द्वारा 12 दिसंबर को तत्कालीन रजिस्ट्रार को हटाने के आदेश दिए जाने के बाद 14 दिसंबर को उनके कार्यकाल के दौरान की गई अनियमितताओं से संबंधित फाइलें गायब कर दी गईं और उनके सहयोगियों की मिलीभगत से सीसीटीवी फुटेज भी डिलीट कर दी गईं.
हाईकोर्ट की विशेष पीठ के जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल ने मामले की सुनवाई के बाद पूरा मामला पुलिस कमिश्नर भोपाल और साइबर सेल को सौंपते हुए आदेश दिया है कि परिषद कार्यालय के उक्त अवधि के सीसीटीवी फुटेज निकालने के हर संभव प्रयास किए जाएं और यदि आवश्यक हो तो परिषद कार्यालय के आसपास लगे कैमरों की रिकॉर्डिंग देखी जाए ताकि पता चल सके कि कार्यालय से क्या-क्या निकाला गया है. हाईकोर्ट ने साइबर सेल को तत्कालीन रजिस्ट्रार के मोबाइल फोन की टावर लोकेशन की जानकारी भी जुटाने के निर्देश दिए हैं, ताकि 13 से 19 दिसंबर 2024 की अवधि में परिषद कार्यालय में उनकी भौतिक उपलब्धता का पता चल सके.






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