सोचिए अगर एक इमारत गिरने वाली हो, प्रशासन का बुलडोजर तैयार खड़ा हो… लेकिन उससे पहले खुद वही व्यक्ति उस इमारत को गिरा दे, जो इसे चला रहा था! ये कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के पन्ना जिले की हकीकत है, जहां वक्फ कानून के तहत पहली ऐतिहासिक कार्रवाई हुई। इस बार कार्रवाई किसी हिन्दू संगठन या राजनीतिक दबाव में नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय की शिकायत पर हुई। यह मामला प्रशासनिक कार्रवाई से कहीं ज्यादा, सामाजिक आत्मचिंतन और कानून की सख्ती का प्रतीक बन गया है।
दरअसल, पन्ना में सरकारी जमीन पर एक अवैध मदरसा चलाया जा रहा था। स्थानीय मुस्लिम नागरिकों ने जब इसकी शिकायत की, तो तहसील और एसडीएम स्तर पर जांच शुरू हुई। एसडीएम संजय नागवंशी के अनुसार, यह मदरसा अवैध रूप से सरकारी ज़मीन पर बनाया गया था और कई वर्षों से संचालित हो रहा था। जैसे ही प्रशासन ने नोटिस जारी किया, मदरसा संचालक अब्दुल रऊफ कादरी ने खुद ही मजदूरों को बुलाकर पूरी इमारत को तुड़वा दिया — इससे पहले कि प्रशासन का बुलडोजर पहुंचता। ये घटना साफ दर्शाती है कि अब वक्फ कानून में दी गई शक्तियों को लेकर गंभीरता बरती जा रही है।
इस मामले की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह अवैध मदरसा खुद मुस्लिम समुदाय की नजर में संदिग्ध था। स्थानीय लोगों ने बताया कि अब्दुल रऊफ कादरी, जो बाहरी व्यक्ति है, ने लगभग दस साल पहले पन्ना में आकर सरकारी जमीन पर कब्जा किया और ‘गरीब बच्चों के नाम पर’ मदरसा शुरू किया। लेकिन जल्द ही यह मदरसा एक चंदा वसूली केंद्र में तब्दील हो गया। बच्चों के नाम पर दान लेकर उसका उपयोग निजी हितों में किया जा रहा था। अब इस मदरसे से जुड़े फंडिंग और चंदा वसूली के मामले की जांच प्रशासन द्वारा की जा रही है।
इस पूरी कार्रवाई पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने साफ शब्दों में कहा — “वक्फ की संपत्ति के नाम पर गुंडागर्दी नहीं चलेगी।” उनका दावा था कि पन्ना में चल रहे इस अवैध मदरसे की आड़ में समाज विरोधी गतिविधियों के लिए अड्डा तैयार किया जा रहा था। वक्फ कानून लागू होने के बाद अब ऐसे सभी अवैध निर्माणों पर कठोर कार्रवाई होगी। शर्मा की यह टिप्पणी प्रशासनिक कार्रवाई से इतर राजनीतिक संदेश भी देती है — कि अब धार्मिक संपत्तियों की आड़ में गैरकानूनी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।