“ज़रा सोचिए… अगर इस बार भी बारिश आई और सड़कें फिर बर्बाद हो गईं… अगर शहरों की गालियां दलदल में तब्दील हो गईं… और अगर हर बार की तरह वादे केवल कागजों पर ही रह गए तो…? लेकिन इस बार तस्वीर कुछ और है। कुछ बदला है… और इस बार का दावा सिर्फ आश्वासन नहीं, एक ठोस योजना है… एक मजबूत कदम है…। मध्यप्रदेश में अब सड़कें सिर्फ बनेंगी नहीं… बल्कि बेमौसम बरसात की मार भी झेलेंगी।”
“राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के नगरीय इलाकों में PWD यानी लोक निर्माण विभाग ने इस बार कमर कस ली है। बारिश से पहले सड़कों को ‘मानसून प्रूफ’ बनाने का प्लान बना है। 216 करोड़ रुपये की लागत से 27 प्रमुख सड़कों की मरम्मत, व्हाइट टॉपिंग और नाली निर्माण का कार्य तय किया गया है। अप्रैल और मई के बीच यह कार्य युद्धस्तर पर शुरू किया जाएगा… ताकि जून के पहले बादल फटने से पहले ही शहर तैयार मिलें।”
“यह कोई आम योजना नहीं है। इसमें चिन्हित की गई हैं राजधानी की सबसे व्यस्त और अहम सड़कें – जैसे हबीबगंज नाका से रायसेन रोड के लिए 4.40 करोड़ का बजट, सूरज नगर से बिशनखेड़ी मार्ग के लिए 3.80 करोड़, भोपाल-चिकलोद मार्ग के लिए 5.60 करोड़, कालीपरेड रोड, लिली टॉकीज से भदभदा सेतु तक – हर सड़क के लिए अलग प्लान, अलग बजट और फुल प्रूफ एक्सन शेड्यूल। यह दर्शाता है कि सरकार अब सिर्फ दिखावे की नहीं, जमीनी सुधार की ओर अग्रसर है।”
“दरअसल, हर मानसून के बाद वही पुरानी तस्वीर सामने आती थी – उखड़ी सड़कों से हादसे, जलभराव, नालियों की बंद पाइपलाइन और सरकारी अफसरों की ‘जांच जारी है’ जैसी प्रतिक्रियाएं। लेकिन इस बार लोक निर्माण विभाग की इस तैयारी से जनता में उम्मीदें जगी हैं। सफेद सीमेंट की व्हाइट टॉपिंग, मजबूत ड्रेनेज सिस्टम और सतह की मजबूती – ये सब संकेत हैं कि अब ‘घोषणा’ से आगे बढ़कर ‘क्रियान्वयन’ पर फोकस हो रहा है।”





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