क्या आप सोच सकते हैं कि कोई पूरी की पूरी बस्ती सिर्फ मुआवजा पाने के लिए खड़ी कर सकता है? और वो भी महज़ कुछ महीनों में? मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में प्रशासनिक कार्रवाई से अब एक ऐसा ही चौंकाने वाला सच सामने आया है, जिसने न केवल सरकारी तंत्र की आंखें खोल दीं, बल्कि मुआवजा माफियाओं की पोल भी खोल दी है। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि एक सच्ची रिपोर्ट है – जहां इंसानियत को छोड़कर लालच की बस्ती बसा दी गई। और अब प्रशासन का बुलडोज़र इस लालच की नींव पर चलने को तैयार है।
सिंगरौली के बंधा कोल ब्लॉक के आसपास के गांवों में हाल ही में एक सर्वे हुआ। बिरला ग्रुप को आवंटित इस कोल ब्लॉक की अधिग्रहित जमीन पर बने करीब 6000 से अधिक मकानों में से हजारों मकान फर्जी पाए गए। ये मकान वास्तव में किसी के रहने के लिए नहीं, बल्कि केवल मुआवजा हड़पने के लिए बनाए गए थे। जिला प्रशासन ने अब इन सभी अवैध मकानों को गिराने की तैयारी शुरू कर दी है। कलेक्टर चन्द्र शेखर शुक्ला ने साफ किया है कि मुआवजा केवल उन्हीं घरों को मिलेगा, जो अधिग्रहण की अधिसूचना से पहले बनाए गए थे।
कलेक्टर शुक्ला ने बताया कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 4, 20, और 22 के तहत मुआवजे का निर्धारण उन्हीं मकानों के लिए किया जाएगा, जो पहले से मौजूद थे और जिनसे वास्तविक आय भी होती थी। यह फैसला इसलिए लिया गया ताकि माफिया और बाहरी तत्व सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग न कर सकें। बंधा गांव में किए गए सर्वे में 3560 घर अवैध घोषित किए गए, जबकि केवल 816 घरों को ही वैध माना गया।
यहाँ मुआवजे के लालच ने एक अलग ही कारोबार खड़ा कर दिया है। बाहर से लोग आए, किसानों से जमीन खरीदी, नकली घर बनाए, और फिर मुआवजा हड़पने की साजिश रची। यह सिर्फ स्थानीय लोगों का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि देशभर से आए माफिया अब इसे एक उद्योग की तरह चला रहे हैं। इन घरों में कोई नहीं रहता, कोई चूल्हा नहीं जलता – फिर भी फाइलों में ये ‘मकान’ मुआवजे के पात्र बने हुए थे।
इस पूरे मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लिया। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा था – “सिंगरौली में भूमि अधिग्रहण के नाम पर खुला भ्रष्टाचार हो रहा है।” न्यायालय की यह टिप्पणी इस बात की पुष्टि करती है कि मुआवजा सिर्फ लालचियों और जालसाजों की जेब में जा रहा है, न कि उन किसानों के पास जिनकी ज़मीन वास्तव में छीनी गई है।
प्रशासन अब पीछे हटने वाला नहीं है। अवैध रूप से बनाए गए इन मकानों को गिराने की कार्यवाही जल्द शुरू होगी। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि सख्ती अब सिर्फ बयान तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि जमीन पर दिखेगी। वैध लाभार्थियों की सूची तैयार की जा रही है और बाहरी घुसपैठियों को चिन्हित किया जा चुका है। सिंगरौली में अब ‘मुआवजा’ नहीं बल्कि ‘न्याय’ की प्रक्रिया चलेगी।





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