मध्यप्रदेश में न्यायपालिका के भीतर एक बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए, हाईकोर्ट ने प्रदेशभर में तैनात 300 से अधिक न्यायाधीशों के तबादले कर दिए हैं। यह तबादले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत के निर्देश पर किए गए हैं। इस संबंध में रजिस्ट्रार जनरल धरमिंदर सिंह द्वारा 27 मार्च को आधिकारिक आदेश जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि न्यायिक प्रक्रिया की गति और सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए यह फैसला लिया गया है। यह कदम न्यायपालिका के भीतर पारदर्शिता और प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने की दिशा में देखा जा रहा है।
जारी आदेश के अनुसार, हाईकोर्ट में ओएसडी (जिला स्थापना) के पद पर कार्यरत वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी मुकेश रावत को विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (OSD) की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह नियुक्ति न्यायिक व्यवस्था में प्रशासनिक मजबूती लाने की मंशा से की गई है। इससे पहले भी हाईकोर्ट द्वारा न्यायिक अधिकारियों के स्थानांतरण समय-समय पर किए जाते रहे हैं, लेकिन इस बार एक साथ इतनी बड़ी संख्या में तबादले किए जाना अपने आप में महत्वपूर्ण है। इससे स्पष्ट है कि हाईकोर्ट न्याय व्यवस्था को अधिक सक्षम, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है।
आदेश के अनुसार, तबादले और पदोन्नति की प्रक्रिया में कई स्तरों के न्यायाधीशों को शामिल किया गया है। 46 सिविल जज (जूनियर डिवीजन) एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट के तबादले किए गए हैं। इसके साथ ही 159 सिविल जज (जूनियर डिवीजन) को पदोन्नत कर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के रूप में नई जिम्मेदारी दी गई है। इतना ही नहीं, 109 सिविल जज (वरिष्ठ खंड) और न्यायिक मजिस्ट्रेट का भी तबादला आदेश में शामिल है। इन बदलावों के बाद प्रदेश की न्यायिक व्यवस्था में नई ऊर्जा और प्रशासनिक चुस्ती आने की उम्मीद की जा रही है। द खबरदार न्यूज़ इन तबादलों को एक प्रशासनिक प्रक्रिया से कहीं अधिक मानती है — यह एक संकेत है कि न्यायपालिका खुद को दुरुस्त कर रही है और व्यवस्था में जवाबदेही व पारदर्शिता लाने के लिए ठोस कदम उठा रही है।