महाकुंभ 2025 का शुभारंभ प्रयागराज में पौष पूर्णिमा के पवित्र स्नान के साथ हुआ। संगम तट पर लाखों श्रद्धालु अपनी आस्थाओं में लीन हो कर सनातन परंपराओं का पालन कर रहे हैं। आइए, हम आपको दिखाते हैं महाकुंभ के इस ऐतिहासिक महासमागम की विशेष रिपोर्ट, जिसमें हम आपको लेकर चलेंगे संगम नगरी की ओर, जहाँ भारतीय संस्कृति का अद्भुत दृश्य जीवंत हो उठा है।
महाकुंभ 2025 के पहले अमृत स्नान पर संगम तट आज भारतीय संस्कृति का एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। जैसे ही सूर्य की पहली किरण संगम तट पर पड़ी, वहां मौजूद लाखों श्रद्धालु गंगा मैया की जयकारे लगाते हुए सूर्य देव को जल अर्पित कर रहे थे। ये दृश्य सच में अकल्पनीय था, जहां जाति, पंथ और धर्म के भेदभाव से परे लोग एकत्र हुए थे। महाकुंभ के इस पहले स्नान के साथ, पूरा प्रयागराज धार्मिक और आस्थाओं से भरा हुआ था। यहाँ उपस्थित श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया है।
संगम तट पर ये दृश्य देखने के लिए न सिर्फ भारत, बल्कि दुनियाभर से श्रद्धालु आए हुए हैं। रूस से एक श्रद्धालु ने कहा, “भारत एक महान देश है, यहाँ की संस्कृति और आस्था अद्वितीय है। हम पहली बार महाकुंभ में शामिल हो रहे हैं, और यहाँ आकर हमें असली भारत की पहचान मिल रही है।” वहीं, ब्राजील के श्रद्धालु फ्रांसिस्को ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा, “भारत आध्यात्मिक रूप से दुनिया का हृदय है, और यहाँ की योग परंपरा में मोक्ष की खोज करने के लिए मैं यहाँ आया हूँ।” इसके अलावा स्पेनिश श्रद्धालुओं ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “भारत की संस्कृति और यहाँ के पवित्र स्थलों से हम गहरे प्रभावित हैं, यह यात्रा हमारे जीवन का एक अभूतपूर्व अनुभव है।”
महाकुंभ का आयोजन न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक धार्मिक और सांस्कृतिक महापर्व है। संगम तट पर हर किसी का उत्साह साफ दिखाई दे रहा है। इस महाकुंभ में हिस्सा लेकर श्रद्धालु अपने जीवन को एक नई दिशा देने का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। 2025 का महाकुंभ निश्चित ही अपने भव्यता और दिव्यता में इतिहास रचेगा।