Saturday, March 22, 2025

प्यार की कोई उम्र नहीं: वृद्धाश्रम में 66 साल के मुन्नालाल और 57 साल की प्रमिला की अनोखी शादी

Agra : प्यार उम्र की मोहताज नहीं होती, यह कहावत आगरा के रामलाल वृद्धाश्रम में सच होती दिखी, जब 66 साल के मुन्नालाल और 57 साल की प्रमिला ने विवाह बंधन में बंधने का फैसला किया। इस अनोखी शादी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी दोनों ने अपने जीवनसाथी के रूप में एक-दूसरे को अपनाकर समाज को एक नई सोच दी है। शादी के इस पावन अवसर पर वृद्धाश्रम के सभी बुजुर्गों ने घराती और बाराती की भूमिका निभाई, जिससे यह शादी और भी खास बन गई। इस अनोखे आयोजन ने यह साबित कर दिया कि जीवन में प्यार और अपनापन पाने की कोई सीमा नहीं होती।

शादी की तैयारियों में वृद्धाश्रम के सभी बुजुर्गों ने पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया। जब 66 वर्षीय दूल्हा मुन्नालाल शेरवानी और पगड़ी पहनकर घोड़े पर सवार हुए, तो हर कोई इस अनोखी बारात को देखने के लिए उमड़ पड़ा। वहीं, 57 साल की प्रमिला लाल जोड़े में सजी-धजी जब स्टेज पर पहुंचीं, तो आश्रम के बुजुर्गों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया। वरमाला के इस भावुक क्षण में हर किसी की आंखें खुशी से नम थीं। शादी में शामिल लोगों ने इसे जीवन में दूसरी खुशियों की शुरुआत बताया और इस जोड़े को ढेरों शुभकामनाएं दीं।

मुन्नालाल, जो जालौन जिले के निवासी हैं, अपनी 90 वर्षीय मां कांची देवी के साथ आश्रम में रहते हैं। पारिवारिक संपत्ति से बेदखल होने के बाद वे यहां शरण लेने आए थे। वहीं, बुलंदशहर की रहने वाली प्रमिला अपने पति और दोनों बेटियों को खो चुकी हैं। उनके घर पर रिश्तेदारों का कब्जा हो जाने के कारण वे भी वृद्धाश्रम में आ गईं। दोनों के जीवन की परेशानियों ने उन्हें एक-दूसरे के करीब ला दिया, और धीरे-धीरे यह रिश्ता शादी तक पहुंच गया। आश्रम संचालक शिवकुमार शर्मा के अनुसार, शादी से पहले कानूनी अनुमति ली गई थी, ताकि इस रिश्ते को पूरी स्वीकृति मिल सके।

यह शादी न केवल मुन्नालाल और प्रमिला के लिए एक नई शुरुआत है, बल्कि उन लाखों बुजुर्गों के लिए भी प्रेरणा है जो अकेलेपन से जूझ रहे हैं। अक्सर समाज में उम्र बढ़ने के बाद जीवनसाथी चुनने को संकोच भरी नजरों से देखा जाता है, लेकिन इस जोड़े ने साबित कर दिया कि खुश रहने का हक हर इंसान को है, चाहे उसकी उम्र कुछ भी हो। रामलाल वृद्धाश्रम में रहने वाले 307 बुजुर्गों के लिए यह शादी एक नई उम्मीद की किरण बनकर आई है। इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि प्यार और अपनापन पाने का कोई उम्र बंधन नहीं होता—बस एक सच्चे साथी की जरूरत होती है।

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