Thursday, January 30, 2025

Apple के सह-संस्थापक Steve Jobs की पत्नी लॉरेन बनी कमला, बदला गोत्र

एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स महाकुंभ 2025 में भाग लेने के लिए भारत आई हैं। उन्हें हिंदू नाम ‘कमला’ और अच्युत-गोत्र दिया गया है। वो अपने गुरु, स्वामी कैलाशानंद, महामंडलेश्वर निरंजनी अखाड़े के शिविर में रुकेंगी और शाही स्नान सहित कई धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेंगी। यह उनकी दूसरी भारत यात्रा है, और वह सनातन धर्म में गहरी रुचि रखती हैं।

नमस्कार, आप देख रहे हैं द खबरदार न्यूज़। आज की हमारी खास रिपोर्ट में हम आपको ले चलेंगे एक ऐसी खबर की ओर, जो धर्म, अध्यात्म और वैश्विक प्रतिष्ठा का संगम है। एप्पल के दिवंगत सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स, जो दुनिया के सबसे अमीर परिवारों में से एक से आती हैं, प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ 2025 में शामिल होने पहुंच रही हैं। उन्होंने अपने गुरु से नया नाम और गोत्र प्राप्त किया है। आइए जानते हैं उनकी इस यात्रा की पूरी कहानी।

दुनिया के प्रतिष्ठित तकनीकी ब्रांड एप्पल के सह-संस्थापक स्वर्गीय स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स एक विशेष धार्मिक यात्रा पर भारत आई हैं। इस बार उनकी यात्रा का केंद्र है महाकुंभ 2025, जो प्रयागराज में आयोजित होने जा रहा है। इस पवित्र आयोजन में शामिल होने के लिए उन्होंने हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों के अनुरूप अपने आध्यात्मिक गुरु स्वामी कैलाशानंद से नया नाम ‘कमला’ और अच्युत गोत्र प्राप्त किया है।

स्वामी कैलाशानंद, जो निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं, ने बताया कि लॉरेन को यह नाम उनके गुरु का गोत्र प्रदान करने के बाद दिया गया। उन्होंने कहा, “लॉरेन सनातन धर्म में गहरी आस्था रखती हैं और मुझे अपने पिता की तरह मानती हैं। मैं भी उन्हें अपनी बेटी की तरह मानता हूं।” यह उनके लिए एक अद्वितीय अनुभव है, क्योंकि वह पहली बार किसी भारतीय धार्मिक आयोजन में इतनी गहराई से जुड़ रही हैं।

महाकुंभ के दौरान लॉरेन शाही स्नान जैसे प्रमुख अनुष्ठानों में भाग लेंगी। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर पहला शाही स्नान होगा, जबकि दूसरा शाही स्नान मौनी अमावस्या के दिन, 29 जनवरी को आयोजित किया जाएगा। ध्यान और योग में रुचि रखने वाली लॉरेन, इस दौरान संन्यासियों के समान जीवनशैली अपनाएंगी।

वाराणसी में भी उन्होंने अपने आध्यात्मिक गुरु के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। हालांकि, उन्हें मंदिर के पवित्र शिवलिंग को बाहर से ही दर्शन कराए गए, क्योंकि परंपरा के अनुसार, केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों को शिवलिंग को स्पर्श करने की अनुमति होती है। इस अवसर पर पुजारी ने बताया कि उनका आदर करते हुए, मंदिर प्रशासन ने उन्हें विशेष सम्मान दिया।

- Advertisement -
For You

आपका विचार ?

Live

How is my site?

This poll is for your feedback that matter to us

  • 75% 3 Vote
  • 25% 1 Vote
  • 0%
  • 0%
4 Votes . Left
Via WP Poll & Voting Contest Maker
Latest news
Live Scores