पुलिस कन्ट्रोल रूम जबलपुर में ‘‘महिला एवं बच्चों के विरूद्ध घटित अपराधों में अनुसंधान एवं कौशल उन्नयन ’’ हेतु 01 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक जबलपुर श्री तुषार कांत विद्यार्थी, अति0 पुलिस अधीक्षक शहर (दक्षिण) श्री संजय कुमार अग्रवाल, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव माननीय न्यायाधीश श्री उमंग अग्रवाल, उप पुलिस अधीक्षक (महिला सुरक्षा शाखा) श्रीमति अंकिता खातरकर, नगर पुलिस अधीक्षक गोहलपुर श्री अखिलेश गौर, एसडीओपी सिहोरा सुश्री पारूल शर्मा, एसडीओपी सुश्री सारिका पाण्डे, डीपीओ श्री अजय जैन, एडीओपी श्रीमति मनीषा दुबे, मनोचिकित्सक श्री विद्यारत्न बरकडे एवं समस्त थानों के ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क प्रभारी, महिला थाना प्रभारी श्रीमति प्रीति तिवारी तथा शहर एवं देहात के थाना प्रभारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ अति0 पुलिस अधीक्षक शहर (दक्षिण) श्री संजय कुमार अग्रवाल द्वारा किया गया।
महिला संबंधी अपराधों में अनुसंधान में पायी जाने वाली प्रमुख त्रुटियों एवं दोषमुक्ति के कारण के बारे में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मान्नीय न्यायाधीश श्री उमंग अग्रवाल द्वारा विस्तार से जानकारी दी गयी। कार्यशाला में डीपीओ श्री अजय जैन द्वारा महिला संबंधी अपराधों की प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखन, समुचित धाराओं का समावेश, अनुसंधान एवं पर्यवेक्षण के बारे में तथा एडीपीओ मनीषा दुबे द्वारा पॉक्सो एक्ट 2012 व संबंधित संशोधन, प्रमुख प्रावधान व चुनौतिया/समाधान के संबंध में बताया गया। महिला अपराधों की पीडिता/साक्षी से अपराधों के अनुसंधान के दौरान किये जाने वाले व्यवहार/संवेदनशीलता का प्रभाव विषय पर जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक श्री विद्यारत्न बरकडे जी द्वारा प्रकाश डाला गया। नगर पुलिस अधीक्षक गोहलपुर श्री अखिलेश गौर द्वारा केस स्टडी व गुड प्रेक्टिस के बारे में तथा उप पुलिस अधीक्षक महिला सुरक्षा श्रीमति अंकिता खातरकर व महिला थाना प्रभारी श्रीमति प्रीति तिवारी द्वारा महिला हेल्प डेस्क के कार्य, दायित्व, एसओपी व अवधारणा, रेफरल फार्म, टेम्पलेट आदि से संबंधित कार्यवाही प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारियों/कर्मचारियों को जानकारी दी गई।
समापन के अवसर पर पुलिस कन्ट्रोलरूम जबलपुर में पुलिस अधीक्षक जबलपुर श्री तुषार कांत विद्यार्थी (भा.पु.से.) ने कहा कि महिलायें एवं बालिकायें विभिन्न प्रकार की समस्याओं जैसे दहेज प्रताड़ना, छेडछाड़, घरेलू हिसंा, बलात्संग, मानसिक उत्पीड़न आदि की शिकायत लेकर पुलिस थाना पहुंचती है। कई बार अपनी बात थाने में सहज रूप से कहने में संकोच करती हैं, जिसे ध्यान में रखते हुये प्रदेश के समस्त जिलों के 700 थानों में उर्जा महिला हैल्प डैस्क की स्थापना की गयी है जिसमें न्यायपालिका, पुलिस , प्रशासन, महिला एवं बाल विकास विभाग, तथा स्वास्थ विभाग साथ मिलकर काम कर रहे है। उर्जा महिला हैल्प डैस्क को संसाधनों से सशक्त बनाया गया है।
आपने कहा कि थानों में उर्जा महिला हैल्प डैस्क संचालित करने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के हित में कार्य करते हुये पीड़िता को तत्काल सहायता प्रदान करते हुये सही मायनें में महिलाओं को उर्जावान बनाना है, ताकि वे अपनी बात निर्भिक होकर कह सकें। थाने कोई पीडित महिला अपने आपको असहाय समझ कर आती है, उसकी अपेक्षा होती है कि जो भी कानूनी प्रावधानो के तहत कार्यवाही बनती है की जाये, आपका भी दायित्व बनाता है कि उसे सौहाद्रपूर्ण माहौल दे तथा पीडित महिला की समस्या को ध्यान से शालीनता पूर्वक सुनें और तत्काल विधिसम्मत कार्यवाही करते हुये उसे राहत पहुंचायें ।
पुलिस को समाज मे व्यवस्था स्थापित करने के लिये व्यापक अधिकार दिये गये है। समय समय पर जो नये नियम/कानून बनाये गये हैं, उनका अध्ययन अवश्य करें, जब आपको कानून का अच्छा ज्ञान होगा तभी आप निर्भीक होकर कोई भी कार्यवाही कर सकेंगे। आज की यह कार्यशाला आपके लिये उपयोगी साबित हुइ होगी, आपने आज इस कार्यशाला के माध्यम से जो भी सीखा है अपने अधिनस्तों के साथ अनिवार्य रूप से शेयर करें।