2008 में मुंबई की सड़कों पर जो आग और ख़ून का मंज़र था, वो भारत की आत्मा पर हमला था। उस रात 166 मासूम जानें गईं और सैकड़ों ज़ख़्म आज भी ताज़ा हैं। और अब, उसी हमले का एक गुमनाम किरदार फिर से जांच के घेरे में है—तहव्वुर हुसैन राणा। पाकिस्तान मूल का कनाडाई नागरिक, जिसने उस काले दिन के बाद डेविड हेडली से बातचीत करते हुए कहा था—”भारतीय इसके लायक थे।” क्या ये केवल घृणा थी, या एक बड़ा आतंकवादी एजेंडा? एनआईए की पूछताछ राणा की चुप्पी को तोड़ने और उस भयानक साजिश की आखिरी कड़ी तक पहुंचने की कोशिश है। यह सिर्फ पूछताछ नहीं, बल्कि इतिहास को न्याय दिलाने की एक निर्णायक जंग है।
एनआईए मुख्यालय के ग्राउंड फ्लोर पर बनाए गए 14×14 फीट के एक विशेष सेल में राणा को रखा गया है, जहां 24 घंटे CCTV की निगरानी है, हाई-टेक डिजिटल सुरक्षा है और सेल के बाहर हथियारबंद सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। सिर्फ 12 अधिकारी ही उस सेल में प्रवेश कर सकते हैं। पूछताछ सुबह 10 बजे शुरू होती है, और हर सवाल-जवाब को “दैनिक पूछताछ डायरी” में दर्ज किया जाता है—यह डायरी केस डायरी का अहम हिस्सा बनेगी। साथ ही, हर 48 घंटे में मेडिकल जांच भी होगी क्योंकि राणा खुद को नुकसान पहुँचा सकता है। एनआईए इस बार कोई चूक नहीं करना चाहती, क्योंकि यह मामला सिर्फ एक आतंकी से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है।
एनआईए ने तहव्वुर राणा से पूछने के लिए 10 सवालों की एक लंबी लिस्ट तैयार की है। ये सवाल सिर्फ उसकी भूमिका तक सीमित नहीं हैं, बल्कि आतंक के पूरे नेटवर्क को बेनकाब करने की ताकत रखते हैं।
26/11 के वक्त राणा कहां था?
भारत आने के पीछे असली मंशा क्या थी?
हेडली से उसका रिश्ता कितना गहरा था?
हेडली की भारत यात्रा की गोपनीय जानकारी क्या थी?
लश्कर-ए-तैयबा और ISI से उसके संपर्क कितने मजबूत थे?
हाफिज सईद से मुलाकात कब और कैसे हुई?
पाकिस्तानी सेना और ISI का राणा के मिशन में क्या रोल था?
क्या वो आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप्स की जानकारी रखता था?
क्या ISI और हेडली का कनेक्शन राणा के जरिए जुड़ा?
मुंबई ही क्यों? क्या भारत के अन्य शहर भी निशाने पर थे?
हर सवाल सिर्फ जवाब नहीं मांगेगा, बल्कि 26/11 की तह तक पहुंचने की एक सीढ़ी बनेगा।
सूत्रों के मुताबिक राणा खुद को मानसिक रूप से अस्थिर दिखा रहा है, जो या तो उसका बचाव हो सकता है या साजिश का हिस्सा। एनआईए को अंदेशा है कि राणा खुद को नुकसान पहुंचाकर मामले को दूसरी दिशा में मोड़ सकता है। इसलिए पूछताछ के दौरान मानसिक विशेषज्ञों की निगरानी भी सुनिश्चित की जा रही है। राणा का अतीत, उसकी गतिविधियां, उसके फर्जी वीज़ा ऑपरेशन, और भारत के भीतर मौजूद नेटवर्क को लेकर एनआईए हर जानकारी निकालना चाहती है। उसके पास लश्कर-ए-तैयबा और आईएसआई की उस गुप्त योजना की जानकारी हो सकती है, जो सिर्फ मुंबई नहीं, बल्कि पूरे भारत को हिलाने का मंसूबा रखती थी।
एनआईए की यह जांच न केवल एक आरोपी की पहचान और भूमिका तक सीमित है, बल्कि इसका मकसद उस अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी नेटवर्क को बेनकाब करना है, जो भारत की अखंडता को चुनौती दे रहा है। अगर तहव्वुर राणा की चुप्पी टूटी, तो यह पूछताछ सिर्फ 166 मृतकों को न्याय नहीं दिलाएगी, बल्कि आने वाले समय में देश को और भी बड़े हमलों से बचा सकती है।





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