क्या ये महज़ एक न्यायिक फैसला है या राजनीति की बिसात पर चला गया कोई मास्टर स्ट्रोक? मध्यप्रदेश की राजनीति उस वक्त गर्मा गई जब साल 2007 में दर्ज एक हत्या के प्रयास के मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अक्षय बम को राहत मिल गई। ये वही अक्षय बम हैं जिन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में अचानक पर्चा वापस लिया और भाजपा में शामिल हो गए। अब, हाईकोर्ट ने उनके और उनके पिता के खिलाफ चल रही निचली अदालत की कार्यवाही पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। इस फैसले ने राजनीतिक गलियारों से लेकर न्यायिक हलकों तक हलचल पैदा कर दी है।
अक्षय बम और उनके पिता कांतिलाल के खिलाफ यह मामला इंदौर के एक जमीन विवाद से जुड़ा हुआ है, जिसमें वर्ष 2007 में एक व्यक्ति पर जानलेवा हमला करने का आरोप है। इस मामले में अप्रैल 2024 में स्थानीय मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास) को जोड़ने का आदेश दिया था। हैरान करने वाली बात यह रही कि इस आदेश के महज पांच दिन बाद ही अक्षय बम ने कांग्रेस से नाम वापस लिया और बीजेपी का दामन थाम लिया। क्या यह सिर्फ एक संयोग था, या फिर कोई राजनीतिक सेटिंग? जनता के जेहन में अब यह सवाल तेजी से घूम रहा है।
मामले में हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव एस. कलगांवकर ने अक्षय बम और उनके पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए 4 अप्रैल को आदेश दिया कि निचली अदालत में मुकदमे की आगे की कार्यवाही अगली सुनवाई तक स्थगित रहेगी। कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता को केस डायरी और अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 2 मई को होगी। इस बीच, जिला अदालत के एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने पिछले महीने ही इस मामले में आरोप तय कर दिए थे, जिन्हें चुनौती देने के लिए ही ये याचिका दाखिल की गई थी।
याचिका पर बहस के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता राघवेंद्र सिंह रघुवंशी ने तर्क दिया कि यदि निचली अदालत की कार्यवाही जारी रही तो उनके मुवक्किल गंभीर पूर्वाग्रह का शिकार हो सकते हैं। वहीं, राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि अभियुक्तों के खिलाफ धारा 307 के तहत मामला बनता है और इसपर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। फिलहाल, हाईकोर्ट ने सिर्फ अगली सुनवाई तक कार्यवाही रोकी है, लेकिन इस अंतरिम राहत को लेकर भी सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं। खासकर इसलिए कि यह फैसला भाजपा में शामिल होने के तुरंत बाद आया।