क्या आपने कभी किसी धार्मिक नगर यात्रा में मदिरा की धार बहते देखी है? और वह भी तब, जब पूरे प्रदेश में शराबबंदी लागू हो? मध्यप्रदेश के उज्जैन में चैत्र नवरात्र की महाअष्टमी पर एक ऐसी ही रहस्यमयी और ऐतिहासिक परंपरा देखने को मिली, जिसने आस्था, परंपरा और प्रशासन के बीच की महीन रेखा को एक साथ खींच दिया। नगर की सुख-समृद्धि के लिए आयोजित की जाने वाली “नगर पूजा” में देवी महालया और महामाया को मदिरा का भोग चढ़ाया गया। यही नहीं, नगर की गलियों में मिट्टी की हांडी से मदिरा की धार बहाई गई—एक ऐसा दृश्य जो चौंकाता भी है और सोचने पर भी मजबूर करता है।
1 अप्रैल 2025 से उज्जैन समेत मध्यप्रदेश के 19 शहरों में शराबबंदी लागू हो चुकी है, लेकिन परंपरा के आगे व्यवस्था भी नतमस्तक नजर आई। इस बार नगर पूजा के लिए खुद आबकारी विभाग के अधिकारी एक पेटी देसी और दो बोतल अंग्रेजी शराब लेकर चौबीस खंबा माता मंदिर पहुंचे। हालांकि इस बार शराब सीधे बोतल से नहीं बल्कि चांदी के पात्र में भरकर देवी को अर्पित की गई। पूजन की शुरुआत अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पूरी महाराज और उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने मिलकर की, जिससे इस धार्मिक आयोजन को आधिकारिक स्वीकृति भी मिली।
सुबह 8 बजे से प्रारंभ हुई यह 27 किलोमीटर लंबी नगर यात्रा उज्जैन के इतिहास में हजारों वर्षों से चली आ रही परंपरा का जीवंत प्रमाण है। मान्यता है कि सम्राट विक्रमादित्य के समय से चौबीस खंबा माता मंदिर से यह पूजा आरंभ होती है। रास्ते में चामुंडा माता, भूखी माता, काल भैरव, चंडमुंड नाशिनी सहित 40 मंदिरों में पूजन किया जाता है। हर मंदिर में देवी और भैरव को मदिरा का भोग लगाया जाता है जबकि हनुमान मंदिरों में ध्वजा अर्पित की जाती है। कोटवार पारंपरिक वेशभूषा में मदिरा से भरी मिट्टी की हांडी लेकर चलते हैं और धार पूरे नगर में बहती है, जिसे ‘संपन्नता का अमृत’ माना जाता है।
पूजा में केवल संत-महात्मा ही नहीं, बल्कि सरकारी अधिकारी, स्थानीय जनता और श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। इस अवसर पर महामंडलेश्वर शांति स्वरूपानंद गिरी, स्वामी प्रेमानंद पुरी, और अन्य संतों की उपस्थिति ने आध्यात्मिक वातावरण को और भी गरिमा प्रदान की। इस पूरी यात्रा का समापन रात 8 बजे अंकपात मार्ग स्थित हांडी फोड़ भैरव पर हुआ, जहां अंतिम मदिरा धार बहाकर यात्रा संपन्न की गई। 6 अप्रैल को बड़नगर रोड स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में कन्या पूजन और भंडारे के साथ उत्सव का समापन होगा।