Friday, December 5, 2025

Indore में दंपत्ति ने न्याय न मिलने पर 40 डिग्री की तपती सड़क पर लोट-लोटकर जताया विरोध, प्रशासन को दी चेतावनी

सोचिए, जब एक आम नागरिक को न्याय की आस में 40 डिग्री की तपती धूप में, अंगारे सी जलती सड़क पर लोटना पड़े, तो उस समाज की व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं। इंदौर की इस सच्ची और झकझोर देने वाली कहानी में एक दंपत्ति ने अपने आत्मसम्मान को ताक पर रखकर न्याय की गुहार लगाई। सड़क पर जलती हुई डामर पर उनके शरीर के छाले उस व्यवस्था को चीख-चीख कर कोस रहे थे, जो दो साल में एक शिकायत पर भी कार्रवाई नहीं कर सकी।

यह घटना मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से सामने आई है। तेजाजी नगर क्षेत्र में रहने वाले एक दंपत्ति ने आरोप लगाया है कि उनके प्लॉट पर शेखर बेला और गोलू बोराने नामक दबंगों ने जबरन कब्जा कर लिया है। इतना ही नहीं, इन्हीं आरोपियों द्वारा उन्हें जान से मारने की धमकियां भी दी जा रही हैं। बीते दो वर्षों से यह दंपत्ति पुलिस थाने से लेकर कलेक्टर ऑफिस तक की खाक छानता रहा, पर न सुनवाई हुई, न कार्रवाई। थक-हारकर अब उन्होंने विरोध की वह राह पकड़ी, जिसे देख कोई भी विचलित हो जाए।

मंगलवार की सुबह, जब सूर्य की तपिश चरम पर थी, तब यह दंपत्ति इंदौर कलेक्टर कार्यालय की ओर बढ़ा — लेकिन पैरों से नहीं, बल्कि शरीर से लोटते हुए। यह दृश्य जिसने भी देखा, सन्न रह गया। सुरक्षा गार्ड ने उन्हें गेट पर रोकने की कोशिश की, लेकिन तब तक दृश्य बन चुका था। मौके पर तैनात पुलिसकर्मी भागते हुए पहुंचे और दंपत्ति को उठाकर जनसुनवाई हॉल तक ले गए। दंपत्ति की आंखों में आंसू थे, लेकिन आवाज़ में सिर्फ एक मांग — न्याय।

जनसुनवाई के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सुनवाई की। अधिकारियों ने उन्हें समाधान का आश्वासन दिया। लेकिन इस ‘आश्वासन’ शब्द पर अब भरोसा करना दंपत्ति के लिए आसान नहीं रहा। बीते दो वर्षों से वे केवल तारीखें ही सुनते आ रहे हैं। और यही कारण है कि उन्होंने अब जनसुनवाई में ही चेतावनी दे डाली — “अगर इस बार भी कार्रवाई नहीं हुई, तो हम मुख्यमंत्री तक जाएंगे, और सड़क पर बैठकर आमरण अनशन करेंगे।”

यह घटना केवल एक परिवार की नहीं है — यह उन हजारों-लाखों पीड़ितों की तस्वीर है जो सालों से न्याय की प्रतीक्षा में सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। यह घटना उन कमजोर आवाज़ों की चीख है जो दबंगों की धमकियों और प्रशासन की लापरवाही के बीच दबकर रह जाती हैं। और सबसे बड़ी बात — यह प्रशासनिक तंत्र के उस चेहरे को उजागर करती है जो दिखता तो है लोकतांत्रिक, लेकिन भीतर से कहीं खोखला होता जा रहा है।

यह पहली बार नहीं है जब कोई पीड़ित न्याय के लिए इस तरह का विरोध कर रहा हो। हाल ही में मंदसौर जिले में एक महिला अपनी शिकायत को लेकर कलेक्टर कार्यालय में लोट लगाते हुए पहुंची थी। तब भी वहां हड़कंप मच गया था। जनसुनवाई में एडीएम ने उसकी बात सुनी और समाधान का भरोसा दिलाया। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब तक कोई नागरिक इतना असाधारण कदम नहीं उठाएगा, क्या तब तक हमारी व्यवस्था सुनने को तैयार नहीं?

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