क्या आप जानते हैं कि एक दिन ऐसा भी आता है जब मां लक्ष्मी आपके दरवाजे तक आकर लौट सकती हैं… और आप चाह कर भी उन्हें रोक नहीं पाएंगे? जी हां, वो दिन है अक्षय तृतीया—धन, समृद्धि और शुभता का प्रतीक। पर एक छोटी सी भूल, और आपका सारा पुण्य व्यर्थ हो सकता है। ये सिर्फ धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी है—जो सदियों से हमसे कहती आ रही है कि भक्ति से पहले मर्यादा आती है, और लक्ष्मी से पहले शुद्धता।
अक्षय तृतीया का दिन हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। यह वो दिन है जब बिना मुहूर्त देखे भी विवाह, खरीददारी और दान जैसे कार्य शुभ माने जाते हैं। कहा जाता है कि इसी दिन त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी और भगवान परशुराम का जन्म भी इसी दिन हुआ। लेकिन इस दिन का सबसे खास पहलू है—मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना। इसके लिए ज़रूरी है कि कुछ विशेष बातों का पालन किया जाए। अंधविश्वास नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की उन परंपराओं का हिस्सा है जो संतुलन, सफाई और सेवा को जीवन की प्राथमिकता मानती हैं।
अक्षय तृतीया के दिन यदि आप झूठ बोलते हैं, चोरी करते हैं या किसी भी तरह का छल करते हैं, तो समझ लीजिए, मां लक्ष्मी आपसे रुष्ट हो सकती हैं। इस दिन विशेषकर कलह, विवाद और बुजुर्गों के अपमान से पूरी तरह बचें। ये दिन सिर्फ पूजा-पाठ का नहीं, बल्कि नैतिकता और आत्म अनुशासन का दिन है। इस दिन की गई कोई भी गलती केवल आपके वर्तमान को नहीं, बल्कि भविष्य को भी प्रभावित कर सकती है।
अक्षय तृतीया पर घर की साफ-सफाई का विशेष महत्व है। मान्यता है कि मां लक्ष्मी का वास वहीं होता है जहाँ स्वच्छता हो। लेकिन एक खास नियम याद रखें—शाम के बाद झाड़ू लगाना वर्जित माना गया है। शाम के बाद की गई सफाई से देवी लक्ष्मी का घर से वास हट सकता है। घर को सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त से पहले साफ करें, और शाम को घर की चौखट पर बैठना भी टालें, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
अक्षय तृतीया केवल पूजा का दिन नहीं, सेवा का अवसर भी है। यदि इस दिन आपके द्वार पर कोई भूखा, प्यासा या ज़रूरतमंद आता है और आप उसे अन्न-जल दिए बिना लौटा देते हैं, तो आपका संचित पुण्य भी व्यर्थ हो सकता है। यही नहीं, यह दिन उधारी लेकर खरीदारी करने के लिए भी अशुभ माना जाता है। इसलिए कोशिश करें कि अपनी क्षमता अनुसार ही खरीददारी करें और ज़रूरतमंदों की मदद करें। यही असली ‘अक्षय’ पुण्य होता है—जो कभी खत्म नहीं होता।
अक्षय तृतीया हमें केवल संपत्ति अर्जित करने का अवसर नहीं देती, बल्कि यह आत्ममंथन, सेवा और संयम का संदेश देती है। ये दिन सिखाता है कि लक्ष्मी की सच्ची कृपा केवल धन में नहीं, मन की शुद्धता में बसती है। यदि आप चाहते हैं कि मां लक्ष्मी आपके घर स्थायी रूप से वास करें, तो उनकी मर्यादा को समझें, उन्हें सम्मान दें और दूसरों की सेवा करें। यही वो मार्ग है, जो हमें केवल समृद्ध ही नहीं बनाता, बल्कि संतोष और सच्चे सुख का अनुभव भी कराता है।





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