Friday, December 5, 2025

कैंसर को मात देकर कैसे Yuvraj Singh ने जीती जिंदगी की जंग, भावुक कर देगी उनकी कहानी

अपने 13 साल के करियर में युवराज सिंह ने न केवल क्रिकेट की दुनिया में अपनी छाप छोड़ी, बल्कि अपनी संघर्षों और संघर्षों की अनकही कहानी से भी लाखों दिलों को छुआ। टीम इंडिया के स्टार बल्लेबाज, जिन्होंने 2000 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की, ने कई उतार-चढ़ाव देखे, जिनमें चोट, खराब फॉर्म और टीम से बाहर होना भी शामिल था। हालांकि, इन सभी कठिनाइयों के बावजूद, युवराज ने हर बार अपनी दमदार वापसी से सबको हैरान किया, खासकर जब उन्होंने 2007 के पहले टी20 विश्व कप में भारत को चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई और स्टुअर्ट ब्रॉड के ओवर में छह छक्के मारने का रिकॉर्ड बनाया।

लेकिन, युवराज सिंह की कहानी सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है। 2011 में, जब भारत ने 28 साल बाद क्रिकेट विश्व कप जीता, तो युवराज ने न केवल अपने बल्ले से, बल्कि अपनी गेंदबाजी से भी योगदान दिया। उन्होंने इस विश्व कप में 362 रन बनाए और 15 विकेट लिए। इसके बाद, 2012 में, युवराज की जिंदगी में एक बड़ा मोड़ आया जब उन्हें कैंसर का पता चला। यह एक ऐसा वक्त था, जब उनकी स्थिति बेहद गंभीर थी, लेकिन उनका संघर्ष और जज़्बा उन्हें एक नई जिंदगी की ओर ले गया। अमेरिका में इलाज करवाने के बाद, युवराज ने अपनी बीमारी को मात दी और वापसी की, लेकिन 2014 में उन्हें फिर से टीम से बाहर कर दिया गया। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत के बाद पुनः टीम इंडिया में अपनी जगह बनाई।

युवराज सिंह का कैंसर से संघर्ष सिर्फ उनके खेल में ही नहीं, बल्कि उनके जीवन में भी एक प्रेरणा बन गया। उन्होंने अपनी किताब में इस कठिन दौर को साझा किया, जिसमें उन्होंने अपनी बीमारी को स्वीकार किया और उसे हराकर जीवन की नई राह पर कदम रखा। उनकी कहानी, जो पहले कैंसर से पहले की थी, फिर कैंसर के दौरान की और अब कैंसर के बाद की है, यह बताती है कि कैसे किसी भी परिस्थिति में उम्मीद नहीं खोनी चाहिए। वह मानते हैं कि कैंसर के बारे में बात करना और इस मुश्किल को स्वीकार करना ही उनकी असली जीत है। उनका कहना है कि, “अगर मेरी कहानी किसी एक व्यक्ति की भी मदद कर सके, तो मुझे खुशी होगी।”

युवराज की जिद और संघर्ष ने न केवल क्रिकेट की दुनिया को बल्कि समाज को भी एक सशक्त संदेश दिया कि जब तक हम खुद से हार नहीं मानते, तब तक कोई भी मुश्किल हमें पराजित नहीं कर सकती। उन्होंने अपने अनुभवों से यह भी सीखा कि सफलता और असफलता दोनों ही जीवन का हिस्सा हैं और हमें इनका सामना साहस और धैर्य के साथ करना चाहिए।

उनकी प्रेरणा और संघर्ष की यह कहानी आज भी लाखों लोगों के दिलों में उम्मीद का उजाला बनकर चमक रही है। युवराज सिंह ने न केवल क्रिकेट में सफलता पाई, बल्कि उन्होंने अपनी जिंदगी से भी यह सिद्ध कर दिया कि जीवन में कठिनाई आने पर, उसे सहन करना और उससे लड़ना ही असली जीत है।

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