सिंगरौली। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में सोमवार देर रात हुए एक दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। वैढन के अंतरराज्यीय बस स्टैंड में खड़ी दो बसों में अचानक भीषण आग लग गई। इस हादसे में एक खलासी की जिंदा जलने से मौत हो गई, जबकि अन्य चालक और परिचालक किसी तरह अपनी जान बचाने में सफल रहे। आग की भयावह लपटें इतनी तेजी से फैलीं कि दोनों बसें कुछ ही पलों में जलकर राख हो गईं। स्थानीय लोगों की सूचना पर फायर ब्रिगेड की तीन गाड़ियां मौके पर पहुंचीं, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पुलिस ने घटनास्थल को घेर लिया और जांच शुरू कर दी है।
रात 12:20 बजे अचानक धधकी आग, अफरा-तफरी का माहौल
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सोमवार रात करीब 12:20 बजे वैढन बस स्टैंड में खड़ी विजय बस (CG 30 E 0811) में अचानक आग लग गई। यह बस रोजाना सुबह 7 बजे वैढन से छत्तीसगढ़ के रामानुजगंज के लिए रवाना होती थी और रात 8:30 बजे वापसी करती थी। घटना के समय बस स्टैंड पर खड़ी बस में चालक जाहिद खान, परिचालक काशी पटेल और खलासी हरीश पनिका सो रहे थे। जैसे ही आग भड़की, चालक और परिचालक ने किसी तरह खिड़की से कूदकर अपनी जान बचा ली, लेकिन खलासी हरीश पनिका आग की लपटों में घिर गया और बाहर नहीं निकल सका।
दूसरी बस भी आई आग की चपेट में, जिंदा जल गया खलासी
आग की लपटें इतनी विकराल थीं कि विजय बस के ठीक बगल में खड़ी सिद्दीकी बस (MP 17 P 1277) भी चपेट में आ गई और पूरी तरह जलकर खाक हो गई। चश्मदीदों के मुताबिक, आग लगने के कुछ ही मिनटों में दोनों बसें धू-धू कर जलने लगीं। जब तक दमकल कर्मी मौके पर पहुंचे, तब तक दोनों बसें पूरी तरह जल चुकी थीं और खलासी हरीश की दर्दनाक मौत हो चुकी थी। दमकल विभाग ने घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।
पुलिस ने दर्ज किया मामला, जांच जारी
बसों में आग लगने की वजह अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है, लेकिन पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ की जा रही है। प्राथमिक जांच में यह भी पता चला है कि जिस स्थान पर आग लगी, वहां कोई ज्वलनशील पदार्थ तो नहीं रखा था। पुलिस इस पहलू की भी जांच कर रही है कि कहीं यह कोई साजिश तो नहीं थी।
मृतक के परिजनों को मिलेगा मुआवजा, विधायक ने की घोषणा
इस दुखद घटना के बाद सिंगरौली विधायक राम निवास शाह ने जिला प्रशासन से बात कर मृतक हरीश पनिका के परिवार को 4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दिलाने का आश्वासन दिया है। हरीश चार बहनों का इकलौता भाई था और उसके माता-पिता का पहले ही निधन हो चुका था। उसकी मौत के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। हरीश के चाचा ने बताया कि वह अकेला रहकर बस में खलासी की नौकरी कर अपना जीवन यापन कर रहा था। अब उसके जाने के बाद परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।