Friday, December 5, 2025

बालों का झड़ना और बार-बार UTI? जानिए Vitamin-D की खतरनाक कमी के पीछे की सच्चाई

क्या आप भी बिना किसी वजह के थकावट महसूस करते हैं? क्या आपके बाल तेजी से झड़ रहे हैं और बार-बार पेशाब में संक्रमण की शिकायत होती है? अगर हां, तो ये कोई मामूली समस्या नहीं है… बल्कि ये आपके शरीर की चेतावनी हो सकती है—एक छुपे हुए दुश्मन के खिलाफ। नाम है Vitamin-D की कमी। जी हां, वही विटामिन-डी जो धूप से मिलता है, आज की भागदौड़ भरी और इनडोर ज़िंदगी में इतनी गंभीर कमी का रूप ले चुका है कि यह बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक को मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ रहा है। रिपोर्ट में हम बात करेंगे उन संकेतों की, जो आपकी सेहत में कुछ बड़ा गड़बड़ होने की ओर इशारा करते हैं, लेकिन जिन्हें हम अक्सर हल्के में ले लेते हैं।

हमारे शरीर का सिस्टम बेहद चतुर है—ये जरूरी चीजों की कमी होने पर धीरे-धीरे संकेत देने लगता है। लेकिन विटामिन-डी की कमी वाले संकेत इतने आम होते हैं कि हम उन्हें अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। थकान, मांसपेशियों में दर्द, नींद की कमी, और यहां तक कि मन की चंचलता भी इसी का हिस्सा हो सकती है। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि बालों का झड़ना, जिसे लोग सामान्य उम्र या तनाव से जोड़ते हैं, वो असल में विटामिन-डी की कमी से जुड़ा हो सकता है। ये विटामिन हेयर फॉलिकल्स की हेल्थ के लिए ज़िम्मेदार होता है और इसकी कमी से Alopecia Areata नामक ऑटोइम्यून बीमारी हो सकती है।

अब बात करते हैं बार-बार होने वाले UTI (Urinary Tract Infection) की। महिलाओं में यह आम समस्या मानी जाती है, लेकिन जब यह बार-बार हो तो इसकी जड़ें विटामिन-डी की कमी से जुड़ सकती हैं। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि विटामिन-डी हमारी इम्यून प्रणाली को मजबूत करता है और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करता है। जब इसकी मात्रा कम हो जाती है, तो शरीर संक्रमण से लड़ नहीं पाता और परिणामस्वरूप बार-बार पेशाब में जलन, दर्द और इंफेक्शन होते हैं। विटामिन-डी की यह चुपचाप फैलती हुई बीमारी अब शहरी जीवनशैली का स्थायी साथी बनती जा रही है।

शरीर में इस आवश्यक विटामिन की कमी के पीछे हमारी बदलती जीवनशैली, खराब खानपान, धूप से दूरी और अनियमित दिनचर्या है। हम इनडोर गेम्स, ऑफिस और डिजिटल डिवाइस में इतने उलझ गए हैं कि प्राकृतिक पोषण की जरूरतों को पूरी तरह से भूल चुके हैं। यह स्थिति केवल स्वास्थ्य का नहीं, बल्कि समाज की जिम्मेदारी का भी सवाल बनती जा रही है। स्कूलों में बच्चों को धूप में खेलने से रोका जाता है, घरों में बुज़ुर्गों को बाहर निकलने की सलाह नहीं दी जाती और युवाओं को “स्किन टैन” से डराया जाता है।

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