जिला जज की अदालत ने सील वजूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक की। रिपोर्ट में मंदिर का ढांचा मिलने के सबूत मिले हैं। इस पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताई है। मुस्लिम पक्ष ने कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने की बात कही है।
विस्तार
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वे रिपोर्ट गुरुवार की देर शाम को जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्ववेश की अदालत ने सार्वजनिक कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में मंदिर का स्ट्रक्चर मिला है। इस पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताई है। उनका कहना है कि बाबा मिल गए हैं। सर्वे रिपोर्ट से सब कुछ साफ हो गया। मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई, यह भी पता चल गया। अब हिंदुओं को पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए। दूसरी तरफ से मुस्लिम पक्ष ने कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने का एलान किया है।
एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में ज्ञानवापी परिसर में जनार्दन, रुद्र और विश्वेश्वर के शिलालेख मिले हैं। रिपोर्ट में महामुक्ति मंडप लिखा है। एएसआई का कहना है कि यह मजबूत संकेत है।
एएसआई ने सर्वे के दौरान एक पत्थर पाया जो टूटा हुआ था। ऐसे में जदूनाथ सरकार की फाइंडिंग को सही पाया। 1669 में 2 सितंबर को मंदिर ढहाया गया था। जो पिलर थे पहले के मंदिर के उनका इस्तेमाल मस्जिद के लिए किया गया। जो तहखाना S2 है, उसमें हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां थी। एएसआई कहता है कि पश्चिमी दीवार एक हिंदू मंदिर का हिस्सा है। उसे आसानी से पहचाना जा सकता है। 17वीं शताब्दी में मंदिर तोड़ा गया था। इसके बाद इसे मस्जिद के लिए इस्तेमाल किया गया।
एएसआई कह रहा है कि यहां मस्जिद से पहले हिंदू मंदिर का स्ट्रक्चर था। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन का कहना है कि अब सील वजूखाना की एएसआई सर्वे की मांग सुप्रीम कोर्ट से करेंगे।
गुरुवार को ज्ञानवापी मामले से जुड़े पांच लोगों को एएसआई की रिपोर्ट की हार्ड कॉपी मिली है। बता दें कि दोपहर में पक्षकारों ने इसके लिए प्राथना पत्र देकर आवेदन किया। इसके बाद से ही फोटो स्टेट की प्रक्रिया शुरू हुई। देर रात नौ बजे के बाद सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने होटल में प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि रिपोर्ट के मुताबिक मंंदिर का ढांचा मिला है।
मंदिर तोड़ कर बनाई गई मस्जिद
अदालत ने सर्वे रिपोर्ट की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने से साफ इन्कार कर दिया। यह मांग अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से की गई थी। दूसरी तरफ मसाजिद कमेटी की सर्वे रिपोर्ट ई-मेल पर उपलब्ध कराने की मांग भी खारिज कर दी गई। दरअसल, जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 23 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया था। इसी आधार पर एएसआई की टीम ने सील वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर के सर्वे किया, फिर सीलबंद रिपोर्ट अदालत में दाखिल कर दिया।
ज्ञानवापी से संबंधित मां शृंगार गौरी मूल वाद की सुनवाई 14 जुलाई को पूरी कर ली थी। इसके बाद पत्रावली को आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया था। जिला जज की अदालत ने 23 जुलाई को आदेश सुनाया। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की मौजूदगी में अदालत ने रडार तकनीक एएसआई से सर्वे कराने का आवेदन मंजूर किया था। साथ ही, एएसआई के निदेशक को सर्वे कराने के लिए आदेशित किया था।अदालत ने कहा कि किसी तरह की क्षति पहुंचाए बगैर वैज्ञानिक तरीके से सर्वे कराया जाए।
ज्ञानवापी मामले में अदालत ने एएसआई के निदेशक को चार अगस्त तक सर्वे के संबंध में रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। इसके बाद मामला हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट गया। जिसके बाद दोबारा चार अगस्त 2023 से सर्वे शुरू हुआ, जो दो नवंबर तक पूरा हो सका। 18 दिसंबर 2023 को सर्वे रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गई थी। इसके बाद से ही हिंदू पक्ष रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग कर रहा था।
हिंदू पक्ष का कहना था कि सर्वे में हिंदू पक्ष की दलीलों को माना गया है। आज इस सर्वे रिपोर्ट के कुछ अंश सामने आए हैं जिन्होंने एक बार अयोध्या फैसले की याद दिला दी है। सर्वे में इस बात का दावा किया गया है कि मस्जिद के पहले यहां मंदिर था और उसकी संरचना के सबूत प्राप्त हुए हैं।
हिंदू पक्ष के एक अन्य अधिवक्ता मानबहादुर सिंह ने कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने से वैमनस्यता फैली। हिंदू पक्ष कलेजे पर पत्थर रखकर इसे सहन करता रहा। यह ऐतिहासिक साक्ष्य है कि आदि विश्वेश्वर का मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है।
अब चार अगस्त को होगी सुनवाई
मां शृंगार गौरी मूल वाद की सुनवाई अब चार अगस्त को होगी। नई तिथि पर एएसआई को सर्वे की टीम गठित करके सर्वे के संबंध में रिपोर्ट देनी है। बताना है कि सर्वे कब और कैसे किया जाएगा। सर्वे कितने दिन में पूरा किया जाएगा। सर्वे का समय क्या रहेगा।
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन बोले- सर्वे से सब कुछ साफ
शृंगार गौरी के पूजा का अधिकार मांग रही चार महिलाओं लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने पक्ष रखा था। इस दौरान वजूखाने में हुए अधिवक्ता कमीशन की रिपोर्ट पेश की गई।
अधिवक्ता की तरफ से कहा गया कि कमीशन की प्रक्रिया के दौरान शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। आकृति की एएसआई जांच का मामला सुप्रीम कोर्ट के विचााराधीन है। वजूखाने को सील किया गया है। ऐसे में उसके आसपास के क्षेत्र का एएसआई सर्वे किया जा सकता है।
विष्णु जैन ने अदालत से कहा कि ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हो तो एक और शिवलिंग मिल सकता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर के पश्चिमी दीवार के पास खंडहरनुमा अवशेष, तीन गुंबद और व्यास जी के तहखाने की जांच एएसआई से रडार पद्धति से कराई जाए। विष्णुशंकर जैन ने सर्वे व हिंदू मंदिर के समर्थन में कई साक्ष्य व तथ्य भी अदालत के समक्ष रखे थे।
बैरिकेडिंग क्षेत्र का हुआ सर्वे
ज्ञानवापी-मां शृंगार गौरी मुकदमे की वादिनी रेखा पाठक, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और सीता साहू ने बीते 16 मई को अदालत में आवेदन दिया था। कहा था कि ज्ञानवापी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सील वजूखाने को छोड़कर वर्ष 1993 से जो क्षेत्र बैरिकेडिंग के अंदर है, उसका एएसआई से रडार तकनीक से सर्वे कराया जाए। आवेदन पर 19 मई को अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने आपत्ति की तो हिंदू पक्ष ने 22 मई को अपनी दलील रखी थी। सात जुलाई को जिला जज के अवकाश पर रहने के कारण 12 जुलाई की तिथि सुनवाई के लिए नियत की गई।
हिंदू पक्ष ने आवेदन के निस्तारण पर बल दिया तो मसाजिद कमेटी ने आपत्ति के लिए समय मांगा और 14 जुलाई की तिथि सुनवाई के लिए नियत की गई। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव भी अदालत में मौजूद रहे। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जिला जज की अदालत ने 14 जुलाई को आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित रख ली थी। शुक्रवार को अपराह्न बाद जिला जज की अदालत ने मसाजिद कमेटी की आपत्ति को खारिज करते हुए हिंदू पक्ष का आवेदन स्वीकार करते हुए एएसआई से सर्वे का आदेश दिया था।
: नितिन तिवारी (सचिन)
Follow Facebook Page : http://facebook.com/thekhabardarnews
Follow Instagram Account : http://instagram.com/thekhabardarnews