क्या आपने कभी सोचा है कि एक फिल्म की पहली झलक भी देश की सीमा पर तैनात जवानों को समर्पित की जा सकती है? क्या आपने सोचा कि जो ज़मीन कभी आतंकवाद के दर्द से कांपती थी, वहां अब एक रेड कार्पेट बिछेगा? कश्मीर की उसी धरती पर, श्रीनगर की घाटियों में, बीते 38 वर्षों बाद फिर से एक फिल्म का प्रीमियर हुआ – और वो फिल्म है ‘ग्राउंड ज़ीरो’. जहां गोलियों की गूंज थी, वहां अब तालियों की गूंज है। जहां कभी डर था, वहां अब सिनेमा है। यह सिर्फ एक प्रीमियर नहीं, बल्कि भरोसे, बदलाव और बहादुरी का प्रतीक है।
‘ग्राउंड ज़ीरो’ का स्पेशल प्रीमियर श्रीनगर में तैनात BSF के जवानों के लिए रखा गया। इस ऐतिहासिक मौके पर फिल्म के मुख्य अभिनेता इमरान हाशमी, अभिनेत्री साई ताम्हंकर, निर्देशक तेजस प्रभा विजय देवस्कर, प्रोड्यूसर रितेश सिधवानी और डॉली सिधवानी सहित फरहान अख्तर और उनकी पत्नी शिबानी दांडेकर भी मौजूद रहे। साई ताम्हंकर अपने पारंपरिक लाल अनारकली सूट में रेड कार्पेट की शोभा बनीं, जबकि इमरान हाशमी ने पहली बार एक आर्म्ड फोर्सेज ऑफिसर की भूमिका में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराई।
फिल्म ‘ग्राउंड ज़ीरो’ सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि उन अनकहे किस्सों की परत खोलती है, जिन्हें अब तक इतिहास की किताबों में जगह नहीं मिली। यह फिल्म उस दौर को बयां करती है जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद अपने चरम पर था, और बीएसएफ ने देश की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए मोर्चा संभाला था। इमरान हाशमी ने खुद कहा, “देश के हर फिल्म निर्माता को कश्मीर में प्रीमियर का विचार करना चाहिए। इससे न सिर्फ स्थानीय लोगों का आत्मबल बढ़ेगा, बल्कि दुनिया को एक नया भारत देखने मिलेगा।”
फिल्म का प्रीमियर केवल मनोरंजन नहीं था, यह एक सम्मान था – उन जवानों के लिए जो सीमाओं पर खड़े होकर हमें सिनेमा देखने की आज़ादी देते हैं। BSF के जवानों ने इमरान हाशमी और टीम के साथ रेड कार्पेट पर एंट्री की – एक ऐसी तस्वीर जो शायद कश्मीर के इतिहास में कभी नहीं देखी गई। यह इवेंट बताता है कि आज का भारतीय सिनेमा सिर्फ ग्लैमर नहीं, बल्कि ज़मीन से जुड़ी सच्चाई को भी दिखाने की ताक़त रखता है।






Total Users : 13152
Total views : 31999