“सोना… सिर्फ़ धातु नहीं, भारतीयों की भावनाओं का प्रतीक है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस धातु को सदियों से समृद्धि की निशानी माना गया, वो अब आपके सपनों से भी आगे निकलने वाला है? 2025 में सोने ने वो कर दिखाया है, जो शायद किसी ने सोचा तक नहीं था। सवाल अब ये है—क्या 10 ग्राम सोना ₹1 लाख के पार जा सकता है? जवाब चौंकाने वाला है… लेकिन तथ्य सब कुछ बताते हैं। आइए जानते हैं इस सुनहरे तूफान के पीछे की सच्चाई।”
2025 की शुरुआत से ही शेयर बाज़ार में उतार-चढ़ाव जारी है, लेकिन इस बीच सोने ने निवेशकों के लिए उम्मीद की नई किरण जगाई है। साल के पहले चार महीनों में ही Gold ने लगभग 25% का दमदार Year-To-Date (YTD) रिटर्न दिया है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर गोल्ड ने हाल ही में अपने लाइफटाइम हाई ₹95,935 प्रति 10 ग्राम को छुआ है, जो इसकी 5 जून वाली एक्सपायरी पर दर्ज हुआ था। जनवरी 2025 में ये रेट करीब ₹78,000 था, यानी कुछ ही महीनों में ₹18,000 से अधिक का उछाल। COMEX जैसे इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म्स पर भी यही ट्रेंड देखने को मिला है। Gold Investors के लिए ये साल अब तक का सबसे फायदेमंद साबित हो रहा है।
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे मेट्रो शहरों के सर्राफा बाज़ारों में 10 ग्राम सोने का भाव ₹98,000 के पार पहुंच चुका है। इंडियन बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के मुताबिक, 24 कैरेट 999 प्योरिटी गोल्ड की कीमत ₹94,910, 22 कैरेट की ₹92,630 और 18 कैरेट की ₹76,880 तक दर्ज की गई है। IBJA हर दिन टैक्स और मेकिंग चार्ज को छोड़कर एक समान कीमत जारी करता है। इसका मतलब यह है कि बाजार में सोने का वास्तविक दाम इससे कहीं अधिक होता है। अगर मौजूदा ट्रेंड जारी रहा, तो वो दिन दूर नहीं जब 10 ग्राम सोना ₹1,00,000 के ऐतिहासिक आंकड़े को छू लेगा।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर इतनी तेजी क्यों? इसका जवाब है—अंतरराष्ट्रीय तनाव, आर्थिक अनिश्चितता और डॉलर की गिरती साख। अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर फिर से भड़क रहा है, टैरिफ युद्धों के बीच निवेशक सुरक्षित विकल्पों की ओर भाग रहे हैं और गोल्ड हमेशा से सबसे भरोसेमंद विकल्प रहा है। शेयर बाजार की अस्थिरता, वैश्विक महंगाई की चिंता और भू-राजनीतिक तनावों ने मिलकर सोने को निवेश का सुरक्षित ठिकाना बना दिया है। यही वजह है कि दुनियाभर के निवेशक अब अपनी पूंजी को सोने में शिफ्ट कर रहे हैं।
भारत में आभूषण बनाने के लिए ज़्यादातर 22 कैरेट सोने का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कुछ डिज़ाइनर और ब्रांड्स 18 कैरेट का भी प्रयोग करते हैं। हॉलमार्क से इसकी शुद्धता की पहचान की जा सकती है—24 कैरेट पर 999, 22 कैरेट पर 916, 18 कैरेट पर 750 लिखा होता है। यही हॉलमार्क उपभोक्ताओं को ठगी से बचाते हैं। ध्यान दें, जो रेट IBJA देती है वह केवल धातु का मूल्य होता है, जबकि ज्वेलरी में मेकिंग चार्ज और GST अलग से जुड़ते हैं। इसलिए खरीददारी से पहले इन बातों का ज़रूर रखें ध्यान।
अब सबसे बड़ा सवाल—क्या ये उछाल टिकेगा? विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक वैश्विक अनिश्चितता बनी रहेगी, तब तक सोने की कीमतों में तेज़ी देखी जाती रहेगी। हालांकि, लॉन्ग टर्म निवेशकों को थोड़ी सावधानी भी बरतनी चाहिए क्योंकि सोना अगर गिरता है तो वो भी बिना चेतावनी के। लेकिन फिलहाल, ये वक्त उन लोगों के लिए एक सुनहरा मौका हो सकता है जो निवेश में सुरक्षा के साथ-साथ स्थायित्व भी चाहते हैं। शायद यही वजह है कि सोना न सिर्फ़ गहनों में, बल्कि पोर्टफोलियो में भी सबसे चमकदार साबित हो रहा है।






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